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________________ लेश्या-कोश टीका-लेस्सा ति अणियोगदारे तत्थ इमाणि अट्ठ पदाणि । तं जहा- x x x लेस्सावण्णसमोदारो ५ x x x। _लेश्या अनुयोगद्वार के आठ पदों में लेश्यावर्ण समवतार पाँचवा पद है । सम्भवतः इस द्वार के पद में लेश्या के वर्गों का समावेश-विवरण किया गया हो । ०४.६४ लेस्सासंकमणणिवत्ती ( लेश्यासंक्रमणनिवृत्ति) -षट • पु १६ । पृ० ५७१ टीका-लेस्सा त्ति अणियोगदारे तत्थ इमाणि अट्ठ पदाणि । तं जहा- x x x लेस्सासंकमणणिव्वत्ती ४ x x x। लेश्या अनुयोगद्वार के आठ पदों में लेश्यासंक्रमणनिवृत्ति चौथा पद है। सम्भवतः इसमें एक लेश्या का दूसरी लेश्या में संक्रमण की निवृत्ति—परिसमाप्ति का वर्णन किया गया हो। ०४.६५ लेस्सासंकमे ( लेश्यासंक्रम) -षट० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्साकम्मे त्ति अणियोगहारे पंचविधियपदाणि। तं जहा-लेस्सासंकमे १ x x x। किण्हलेस्सादो संकिलेसंतो अण्णलेसं ण संकमदि, विसुज्झतो सहाणे छहाणपदाणि ओसरदि, णीललेस्सं वा संकमदि xxx। लेश्यासंक्रम-एक लेश्या से अन्य लेश्या में संक्रमण करना । लेश्याकर्म अनुयोगद्वार के पंचविधिक पदों में लेश्यासक्रम प्रथम पद है। उदाहरणार्थ कृष्णलेश्या में संक्लेश को प्राप्त होता हुआ जीव अन्य लेश्या में संक्रमण नहीं करता है, अपितु उससे विशुद्धि को प्राप्त होकर स्वस्थान में षटस्थानपतित होता है अथवा नीललेश्या में संक्रमण करता है। ०४.६६ लेस्सासरीरसमोदारो (लेश्याशरीरसमवतार) -षट० पु १६ । पृ० ५७१ टोका-लेस्सा त्ति अणियोगद्दारे तत्थ इसाणि अट्ठ पदाणि। तं जहा-x x x लेस्सासरीरसमोदारो चेदि ८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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