SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४ लेश्या-कोश लेश्या अनुयोगद्वार के आठ पदों में लेश्याशरीरसमवतार आठवाँ पद है। इसमें शरीर के आधार पर लेश्याओं का वर्णन दिया गया है। देखो इसी पुस्तक के पृष्ठ ४८५ से ४८७ । '०४.६७ लेस्सासामित्तविहाणे ( लेश्यास्वामित्वविधान ) -षट० पु १६ । पृ० ५७२ टीका-लेस्सापरिणामे त्ति अणियोगहारे दस वित्थरपदाणि । तं जहा-xx x लेस्सासामित्तविहाणे ४ xxx। लेश्यापरिणाम अनुयोगद्वार के दस विस्तार पदों में लेश्यास्वामित्व विधान चौथा पद है। इसमें किस लेश्या के कौन जीव स्वामी होते हैं इसका विविध अपेक्षा से वर्णन किया गया है । '०४.६८ लोगलेसं (लोकलेश्य ) -सम० सम १३ । सू १३-१४ मूल-लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं xxx जे देवा xxx लोगं x x x लोगलेसं x x x लोगुत्तरवडेंसगं विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं तेरस सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । टीका-लोकाभिलापेन चैकादश विमानानीति । लोकलेश्य–लान्तव कल्प में एक विमान विशेष का नाम । लान्तव कल्प में कई देवता लोक आदि ११ विमानों में उत्पन्न होते हैं । इन ११ विमानों में लोकलेश्य नाम का भी एक विमान है। '०४.६६ वइरलेसं ( वइरलेश्या) -सम० सम १३ । सू १३-१४ मूल-लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं xxx जे देवा xxx वइरं x xx वइरलेसं xxx वइरुत्तरवडेंसगं x x x विमाणं देवत्ताए उववण्णा, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं तेरससागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy