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________________ १५४ लेश्या - कोश अथवा छठा विकल्प होता है । तेजोलेशी पृथ्वीकायिकों, अपकायिकों, वनस्पतिकायिकों में छ विकल्प होते हैं । पद्मलेशी - शुक्ललेशी जीव ( एकवचन ) कदाचित् सप्रदेशी, कदाचित् अप्रदेशी होता है । पद्मलेशी - शुक्ललेशी तिर्यचपंचेन्द्रिय, मनुष्य, वैमानिक देव कदाचित् सप्रदेशी होते हैं, कदाचित् अप्रदेशी होते हैं । पद्मलेशी - शुक्ललेशी जीवों ( बहुवचनं ) में पहला अथवा पाँचवाँ अथवा छठा विकल्प होता है । पद्मलेशी शुक्ललेशी तिर्यंचपंचेन्द्रिय, मनुष्य, वैमानिक देवों में पहला अथवा पाँचवाँ अथवा छठा विकल्प होता है । अशी जीव ( एकवचन ) कदाचित् सप्रदेशी, कदाचित् अप्रदेशी होता है। अलेशी सिद्ध, मनुष्य कदाचित् सप्रदेशी, कदाचित् अप्रदेशी होता है । अलेशी जीव ( बहुवचन ) में पहला अथवा पाँचवाँ अथवा छठा विकल्प होता है । अलेशी सिद्धों में पहला अथवा पाँचवाँ अथवा छट्ठा विकल्प होता है । अलेशी मनुष्यों में छओं विकल्प होते हैं । ६७ सलेशी जीव के लेश्या की अपेक्षा उत्पत्ति-मरण के नियम : • ६७१ लेश्या की अपेक्षा जीव दंडक में उत्पत्ति-मरण के नियम : -- से नू भंते! कण्हलेसे नेरइए कण्हलेसेसु नेरइएस उववज्जइ, कण्हलेसे उववट्टर, जल्ले से उववज्जइ तल्लेसे उववदृइ ? हंता गोयमा ! कण्हलेसे नेरइए कण्हलेसेसु नेरइएस उववज्जइ, कण्हलेसे उववट्टइ, जल्लेसे उववज्जइ तल्लेसे उववट्टर, एवं नीललेसे वि, एवं काऊलेसे वि । एवं असुरकुमाराण वि जाव थणियकुमारा, नवरं लेसा अब्भहिया । सेनू भंते! कहलेसे पुढविकाइए कण्हलेसेसु पुढविकाइएसु उववज्जइ, कण्हलेसे उवट्ट, जल से उववज्जइ तल्लेसे उववट्टर ? हंता गोयमा ! कण्हलेसे पुढविकाइए कण्हलेसे पुढ विकाइएस उववज्जइ, सिय कन्हलेसे उग्रवट्टर, सिय नीललेसे उबवट्टर, सिय काऊलेसे उववट्टइ, सिय जल्लेसे उववज्जर सिय तल्लेसे उववट्टइ । एवं नीलकाऊलेसासु वि । से नूणं भंते! तेऊलेसेसु पुढविकाइएस उववज्जइ पुच्छा ? हंता गोयमा ! तेऊलेसे पुढविकाइए तेऊलेसेसु पुढविकाइएस उववज्जइ, सिय कण्हलेसे saars, सिय नीललेसे उववट्टर, सिय काऊलेसे उववट्टइ. तेऊलेसे उववज्जइ, नो चेव णं तेऊलेसे उववइ । एवं आउकाइया वणस्सइकाइया वि । तेउवाउ एवं चेव, नवरं एएसि तेऊसा नत्थि | बितियचउरिंदिया एवं चेव तिसु लेसासु । पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य जहा पुढविकाइया आइल्लिया तिसु लेसासु भणिया तहा छ वि लेसासु भाणियव्वा, नवरं छप्पि लेसाओ चारेयव्वाओ । वाणमंतरा जहा असुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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