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________________ १५२ '६५४ तेजोलेशी जीव का : तेऊलेसरस णं भंते! अंतरं कालओ केवश्चिरं होइ ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणरसइकालो । लेश्या -कोश -जीवा० प्रति ६ । सू २६६ | पृ० २५८ तेजोलेशी जीव का तेजोलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त का तथा उत्कृष्ट अन्तरकाल वनस्पति काल का अर्थात् अनंतकाल का होता है । • ६५५ पद्मलेशी जीव का : एवं पहले सस्स वि सुक्कलेसस्स वि दोण्ह वि एवमंतरं । - जीवा० प्रति ६ । सू २६६ | पृ० २५८ पद्मलेशी जीव का पद्मलेशीत्व की अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त का तथा उत्कृष्ट अन्तरकाल वनस्पति काल का होता है । *६५६ शुक्ललेशी जीव का : देखो पाठ-६५.५ · शुक्ललेशी जीव का शुक्ललेशीत्व की अपेक्षा जघन्य अंतरकाल अन्तर्मुहूर्त का तथा उत्कृष्ट अंतरकाल वनस्पतिकाल का होता है । '६५७ अलेशी जीव का : असणं भंते! अंतरं कालओ केवश्विरं होइ ? गोयमा ! साइयस्स अपज्जवसिय स णत्थि अंतरं । जीवा० प्रति ६ | सू २६६ | ० २५८ अलेशी जीव का अन्तरकाल नहीं होता है। - ६६ सलेशी जीव काल की अपेक्षा सप्रदेशी - अप्रदेशी : ( कालादेसेणं किं सपएसा, अपएसा ? ) सलेस्सा जहा ओहिया, कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा जहा आहारओ, नवरं जस्स अत्थि एयाओ, तेऊलेस्साए जीवाइओ तियभंगो, नवरं पुढविकाइएस, आउवनस्सईसु छब्भंगा, पम्हलेस्स-सुक्कलेस्साए जीवाइओ तियभंगो | असेले ( सी ) हि जीव-सिद्ध हिं तियभंगो, मणुस्सेसु छभंगा । भग० श ६ | उ४ | प्र ५ । पृ० ४६६-६७ यहाँ काल की अपेक्षा से जीव सप्रदेशी है या अप्रदेशी ऐसी पृच्छा है । काल की अपेक्षा से सप्रदेशी व अप्रदेशी का अर्थ टीकाकार ने एक समय की स्थिति वाले को अप्रदेशी तथा द्वयादि समय की स्थिति वाले को सप्रदेशी कहा है। इस सम्बंध में उन्होंने एक गाथा भी उद्धृत की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016037
Book TitleLeshya kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1966
Total Pages338
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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