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________________ ( १७५ ) पश्चात, जहाँ, चम्पानगरी थी जिसमें पूर्णभद्र चैत्य अवस्थित था, वहाँ श्रमण भगवान महावीर पधारे एवम् आवास को ग्रहण कर संयम और तप सहित आत्मा को भावित कर विचरने लगे। (ख) तेणं कालेण तेण समएण' चंपा नामं नयरी। पुण्णभद्दे चेइए ॥२॥ तेण कालेण तेण समएण 'समणे भगवं महावीरे' समोसढे । ४५२॥ -नाया० २ १/अ६ उस काल-उस समय में- चंपा नामक नगरी थी। पूर्णभद्र चैत्य था। वहाँ श्रमण भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। (घ) चंपा नगरी में पदार्पण --- तेण कालेण तेण समएण इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे चंपा नाम नयरी होत्था ।x x x तेण कालेण तेण समएण समणे भगवं महावीरे समोसरिए । परिसा निग्गया। -निर• वर्ग १ उसकाल उससमय में चंपा नगरी में श्रमण भगवान महावीर का पदार्पण हुआ। नोट-रथमसल संग्राम के समय भगवान का पदार्पण हुआ। (च) चंपा नगरी में पदार्पण इतश्च जाह्नवीहंसश्रेणिभिरिव चारुभिः । चैत्यध्वजै राजमाना चम्पेत्यस्ति महापुरी ॥२६५।। भोगिभोगायतभुजस्तंभः कुलगृहं श्रियः । जितशत्रुरिति नाम्ना तस्यामासीन्महीपतिः ॥२६६॥ अभूद गृहपतिस्तस्यां कामदेवाभिधः सुधीः । आश्रयोऽनेकलोकानां महातरुरिवाध्वनि ॥२६७॥ तदा च विहरन्नुर्वी तत्रोर्वीमुखमंडने । पूर्णभद्राभिधोद्याने श्रीवीरः समवासरत् ॥२७॥ -त्रिशलाका० पर्व १०/सर्ग गंगा के किनारे पर रहे हुए हंसों की श्रेणी की तरह सुन्दर चैत्य ध्वजों से विराजमान चंपा नामक एक मोटी नगरी थी। वहाँ का राजा जितशत्रु था। उस नगर में कामदेव नाम कुलपति रहता था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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