SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 167
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ८४ > आर्यों! मैंने श्रमण निग्रंथों के लिए छह जीवनिकायों - पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और त्रसकाय- का निरूपण किया है। इसी प्रकार अर्हत महापद्म भी श्रमण निर्ग्रन्थों के लिए छह जीवनिकायों - पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और उसकाय का निरूपण करेंगे है । (ज) से जहाणामए, अजो ! मए समणाणं णिग्गंथाणं सत्त भयट्ठाणा पण्णत्ता, तंजहा इहलोगभए, परलोगभए, आदाणभए, अक म्हाभए, वेयणभए, मरणभए, असिलोगभए । एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं णिग्गंथानं सत्त भयद्वाणे पण्णवेहिति, तंजहा - इहलोगभयं, परलोगभयं, आदाणभयं, अकमहाभयं, वेयणभयं, मरणभयं, असिलोगभयं । एवं अ महाणे, णच बंमचेर गुत्तीओ, दसविधे समणधम्मे । एवं जाव तेत्तीसमासातणाउन्ति । 1 - ठाण० स्था ६ / सू ६२ / ८६६ आर्यों मैंने श्रमण-निर्ग्रन्थों के लिए सात भयस्थानों - इहलोकभय, परलोकमय, आदानभय, अकस्मात्भय, वेदनाभय, मरणभय और अश्लोकभय का निरूपण किया है, इसी प्रकार अर्हत महापद्म भी सात भयस्थानों- इहलोकभय, परलोकभय, आदानभय, अकस्मात्भय, वेदनाभय, मरणभय और अश्लोकभय का निरूपण करेंगे । आर्यों! मैंने श्रमण निर्ग्रन्थों के लिए आठ मदस्थानों, नौ ब्रह्मचर्यगुप्तियों, दश श्रमण-धर्मो यावत् तेतीस आशातनाओं का निरूपण किया है। इसी प्रकार अर्हत् महापद्म भी श्रमण निर्ग्रन्थों के लिए आठ मदस्थानों, नौ ब्रह्मचर्य गुप्तियों, दश श्रमणधर्मों यावत् तेत्तीस आशातनाओं का निरूपण करेंगे । (झ) से जहाणामए अजो ! मए समणाणं णिग्गंथाणं णग्गभावे मुंडभावे अपहाणए, अदंतवणए, अच्छत्तए, अणुवाहणर, भूमिसेज्जा, फलग सेज्जा, कठ्ठसेज्जा, केसलोए, बंमचेरवासे, परघरपवेसे, लद्भावलद्धवित्तीओ पण्णत्ताओ । एवामेव महापउमेवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं जग्गभावं, मुंडभाव, अण्हाणयं, अदंतवणयं, अच्छत्तयं, अणुवाहणयं, भूमिसेज्जं फलगसेज्जं कट्ठसेज्जं केसलोयं बंभचेरवासं परधरपवेसं लद्धाबलद्धचित्ती पण्णवेहिती | - ठाण० स्था है / सू ६२ आर्यों, मैंने श्रमण-निर्ग्रन्थों के लिए नग्नभाव, मुण्डभाव, स्नान का निषेध, दतीन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016034
Book TitleVardhaman Jivan kosha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1988
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy