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________________ ६३६ पुद्गल-कोश -६ पुद्गल के लक्षण के विषय में कहा है सद्द धयार- र उज्जोओ, पहा छायाऽऽतवोति वा । वण्ण-रस-गंध-फासा - पोग्गलाणं तु लक्खणं ॥ शब्द, अंधकार, उद्योत, प्रभा, छाया, आतप, वर्ण-गंध-रस स्पर्श – ये पुद्गल के लक्षण हैं । अर्थात् इनके द्वारा पुद्गल द्रव्य पहचाना जाता है । पुद्गल के गुण - उत्त० अ २८ । गा १२ पोग्गलु होइ पंच-गुणवंतउ । सद्दे गंधे रुवें फासें रसें ॥ पुद्गल द्रव्य पाँच गुणों से युक्त है - शब्द, गंध, रूप, स्पर्श और रस । गंधु वष्णु रसु फासु स- सद्दउ । - वीरजि० संधि १२ | कड १० -७ शब्द परिणाम पुद्गल द्रव्य, गंध, वर्ण, रस, स्पर्श और शब्द - ये पंचगुणात्मक है । रसेहि अर्याह । संजोय - विओर्याह ॥ वणार्याह परिणमंति - वीरजि० संधि १२ । कड ९ ( अजीवपरिणामे ) सद्दपरिणामे । Jain Education International यह पुद्गल द्रव्य अनेक वर्णो, अनेक रसों आदि रूप परिणमन करता है और उसका संयोग अर्थात् जोड़ और वियोग अर्थात् विभाजन भी होता है । - वीरजि० संधि १२ । कड १० - ठाण० स्था १० सू ७१३ टीका - शब्दपरिणामः शुभाशुभ भेदातिद्विधेति । ( पुद्गल ) अजीव के दस भेदों में एक शब्द परिणाम है, वह दो प्रकार का हैंशुभ शब्द और अशुभ शब्द । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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