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________________ पुद्गल-कोश ६३५ स्पर्श, रस, वर्ण, गन्ध, शब्द, बन्ध, सूक्ष्मता, स्थौल्य, संस्थान, भेद, तम, छाया, उद्योत व आताप - ये पुद्गल द्रव्य के कार्य अर्थात् पर्याय हैं । नोट--स्पर्श-रस-वर्ण-गंध-ये चार पुद्गल के मूलभूत गुण है । नोट –— संस्थान इत्थंलक्षण और अनित्थंलक्षण के भेद से दो प्रकार का है । जिस आकार का वह इस तरह का - इस प्रकार से निर्देश किया जा सके वह इत्थंलक्षण संस्थान है । गोल, त्रिकोण, चतुष्कोण, आयत, परिमंडल इत्यादि संस्थानों के आकारों का निर्देश करना संभव है । इसलिये यह इत्थंलक्षण संस्थान है और मेधादि संस्थानों का इस प्रकार का है - यह बतलाना संभव नहीं अतः वह अनित्थं - लक्षण संस्थान है । छवि संठाणं बहु विहि देहेहि पूरदित्ति गलदित्ति पोग्गलो । पूरणगलन वर्णगन्धरसस्पर्शः कुर्वन्ति स्कन्धवत्तस्माद् पुद्गलाः यत् । परमाणवः ॥ च Jain Education International पूरणाद् गलनाच्च पुद्गलाः । स्पर्श रसगंधवर्णवान् पुद्गलः । — तत्त्व ० अ ५ । सू १ । सिद्ध टीका -धवला ग्रन्थ - हरिवंश पुराण सर्ग ७ - जैनसिदी ० गलन - मिलन स्वभाव के कारण पदार्थ को पुद्गल बताया गया है । स्पर्श, रस, वर्णं, स्वभाव वाला द्रव्य - पुद्गल है । For Private & Personal Use Only ० प्र १ । सू १४ परमाणु पुद्गल का संस्थान नहीं होता है क्योंकि वह नियम से आकाश के एक प्रदेश को अवगाहित कर रहता है । जब पुद्गल स्कंध आकाश के एक प्रदेश को अवगाहित कर रहता है तब भी उसका संस्थान नहीं होता है । जब पुदगल स्कंध आकाश के दो प्रदेश यावत् असंख्यात प्रवेश को अवगाहित कर रहता है तब पुद्गल का संस्थान बन जाता है । www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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