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________________ पुद्गल-कोश ५५९ अर्थात् आकाश में चमकने वाली विद्युत् परमाणुओं के स्निग्ध और रूक्ष गुणों का परिणाम है। भादेश मात्रमूर्तः धातु चतुष्कस्य कारणं यस्तु । सज्ञेयः परमाणुः परिणामगुणः स्वयमशब्दः॥८॥ शब्दः स्कन्ध प्रभवः स्कन्धः परमाणुसंघ-संघातः। स्पृष्टेषु तेषुजायते शब्द उत्पाद कोनियतः ॥८६॥ –पंचास्तिकायपसार अर्थात् परमाणु स्वयं अशब्द है। शब्द तो नाना स्कंधों के संघर्ष से उत्पन्न होता है । इसलिए वह स्कन्ध प्रभव है। लक्षण को परिभाषा लक्ष्यतेऽनेनेति लक्षणम् । -सिद्धसेनगणि वक्तव्यं जो गुण दूसरों में नहीं हो, वह गुण लक्षण-गुण कहलाता है। जिससे लक्ष्य निर्दिष्ट किया जा सके, वह लक्षण है । लणक्ष गुण से ही एक वस्तु को दूसरी वस्तु से पृथक् किया जा सकता है । पुद्गल का एक भेद परस्पररेणासंयुक्ता परमाणवः। --तत्त्व. अ५ । सू २५ के भाष्य पर सिहसेन गणि टीका पुद्गल का एक भेद-व्यक्तिगत भाव से सर्व पुद्गल परमाणु है। किसी दूसरे पुद्गल के साथ अबद्ध अवस्था में पुद्गल परमाणु रूप है। अत: परमाणु के स्वरूप को अपेक्षा से पुद्गल का एक ही भेद-'परमाणु' होता है। पुद्गल का एकान्त भेद केवल एक परमाणु है। निश्चयनय से सर्व पुद्गल परमाणु है। .८१ स्कंध अहवा कसिणो अकसिणो अणेगदम्वो स एष विण्णेओ। देसावचिओवचिओ अणेगदम्वो विसेसोऽयं ॥ -विशेभा• गा ८९७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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