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________________ ५५८ पुद्गल-कोश अस्तु सब परमाणु और सूक्ष्म स्कंधों को अवकाश ( स्थान ) देने के लिए समर्थ है । इस प्रकार की अवगाहन शक्ति जो आकाश में है इसी हेतु से असंख्यात प्रदेशप्रमाण लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव तथा उन जीवों से भी अनन्त गुणे पुद्गल अवकाश को प्राप्त होते हैं । यह लोक सब ओर से विविध तथा अनन्तानन्स सूक्ष्म-वादर पुद्गलकायों द्वारा अति सधनता के साथ भरा हुआ है । पुद्गल का क्षेत्रावगाह पुद्गलजीवाश्च प्रतिनियतावगाहाः ॥८॥ टीका - पुद्गलाः अणवो नभसः प्रत्येकस्मिन् प्रदेशे, स्कन्धाश्च एकस्मिन्नपि स्वपरिमाण प्रदेशेषु, उत्कर्षतश्चासंख्येषु । परमाणु पुद्गल आकाशस्तिकाय के एक प्रदेश को अवगाहित कर रहता है । स्कंध पुद्गल आकाश के एक प्रदेश से लेकर असंख्यात प्रदेश अवगाह कर रहता है । - भिक्षुन्याय० भाग २ (छ) जीवेणं मंते ! जाइ दव्वाई' मासत्ताई गहियाइ निस्सरन्ति ताई' fi भिण्णा निस्सरन्ति अभिण्णाइ निस्सरन्ति ? गोयमा ! भिण्णाई वि निस्सरन्ति अभिण्णाई विनिस्सरन्ति । तत्थणं जाई बव्वाई भिण्णाई निस्सरन्ति ताई अनंतगुण परिवडिए परिबुडुमानाइ लोयंतं फुसंति । जाइ अभिण्णा निस्सरन्ति ताई असंखेज्जाओ ओगाहणवग्गणाओ गंता भेवमावज्जति संखेज्जाइ जोवणाइ गंता विद्ध समागच्छति । - पण्ण ० प ११ सू ३९८ तीव्र प्रेरणा प्राप्त शब्द कुछ क्षणों में सारे ब्रह्माण्ड को पार कर उसके अन्त तक पहुँच सकता है । (ज) विद्युत् पुद्गल परिणाम स्निग्धरूक्षगुणनिमित्तो विद्युत् । Jain Education International For Private & Personal Use Only - सर्व ० अ ५ । सू ३४ www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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