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________________ . ३५० पुद्गल-कोश पृथ्वी, जल, तेज और वायु-ये चार धातु है । इन चार धातुओ का जो कारण है वह कारण परमाणु है अर्थात् जिन परमाणुओं के सम्बन्ध से ये चार धातुयें परिणत होती है स्कंध रूप दीखलाई पड़ती है, ये परमाणु कारण परमाणु कहलाते हैं। .४३ परमाणु पुद्गल और ओघ जघन्य सामित्तं दुविहं जहण्णपदे उक्कस्सपदे । -षट् खं० ४ । २, ६ । सू ६ । पु ११ । पृ० ८५-८६ तत्य जहण्णं चउन्विहं–णाम-ट्ठवणा-दव्यभाव जहणं चेदि x x x। दव्वजहण्णं दुविहं आगमदव्ध जहण्णं णोआगम द्रव्व जहण्णं चेदि x x x। णोआगमदव्व जहण्णं तिविहं-जाणुगसरीरभविय-तदिरित्तणोआगमदव्वजहण्णभेएण x x x। तव्वदिरित्तणोआगमदव जहण्णं दुविहंओघजहण्णमादेसजहण्णं चेदि । तत्थ ओघजहण्णं चउन्विहं-दव्वदो, खेत्तदो, कालदो, भावदो चेदि। तत्थ दवजहण्णमेगो परमाणू। खेत्तजहण्णमेगो आगास पदेसो। कालजहण्णेमेगो समओ। भाव जहणं परमाणुम्हिएगो णिद्धत्तगुणोxxx। स्वामित्व दो प्रकार का होता है-जघन्य पद में तथा उत्कृष्ट पद में । जघन्य पद चार प्रकार का होता है-नाम जघन्य, स्थापना जघन्य, द्रव्य जघन्य और भाव जघन्य । द्रव्य जघन्य दो प्रकार का होता है-आगम द्रव्य जघन्य और नोआगम द्रव्य जघन्य । नोआगम द्रव्य जघन्य तीन प्रकार का होता है--ज्ञायक शरीर नोआगम द्रव्य जघन्य, भावी नोआगम द्रव्य जघन्य और तद्व्यतिरिक्त नोआगम द्रव्य जघन्य । तद्व्यतिरिक्त नोआगम द्रव्य जघन्य दो प्रकार का होता है-ओघजघन्य और आदेशजघन्य । ओघजघन्य-द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव की अपेक्षा से चार प्रकार का होता है। (१) एक परमाणु (पुद्गल ) को द्रव्य जघन्य कहा जाता है। (२) एक आकाशप्रदेश को क्षेत्र जघन्य कहा जाता है। (३) एक समय को काल जघन्य कहा जाता है। (४) परमाणु में स्थित एक स्निग्धत्व गुण भाव जघन्य है। द्रव्य जघन्य एक परमाणु पुद्गल होता है। क्षेत्र जघन्य एक आकाश प्रदेश होता है। काल जघन्य एक समय होता है। . . . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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