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________________ पुद्गल-कोश ३५१ भाव जघन्य परमाणु पुद्गल का एक स्निग्धत्व आदि गुण होता है। .४४ परमाणु पुद्गल के अस्तित्व का निरूपण दोसइ सामग्गिमयं न याणवो संति नणु विरुद्धमिदि । कि वाणूणभमावे निप्फण्णमिणं खप्फेहि ॥ -विशेभा० गा १७३८ टोका-xx x यदेव हि सामग्रीमयं किमपि दृश्यते भवता, तदेवाणुसंघातात्मकम्, अतः स्ववचनेनैव प्रतिपादितत्वात् कथमणवो न सन्ति ? इति भावः। किञ्च, अणनामभाव इदं सर्वमपि घटादि कार्यजातं कि खपुष्पॅनिष्पन्नम्, परमाण्वभावे तज्जनकमृत्पिण्डादिसामग्रयभावात् ? इति भावः। तस्माद् यस्मात् सामग्रीमयं दृश्यते इति प्रतिपद्यते भवता, तद्वदेव परमाणव इति । किसी का कथन है-"सर्व सामग्री जो दिखाई देती है वह वस्तु है परन्तु परमाणु पुदगल नहीं है।" परन्तु यह कथन सम्यग् नहीं है। यदि परमाणु पुद्गल का अभाव मान लिया जाय तो क्या कार्य आकाश पुष्प की तरह उत्पन्न हो सकते हैं। जो भी सामग्रीमय-सामग्रीजन्य दिखाई देते हैं वे सब परमाणु पुद्गल के समुदायरूप है अतः परमाणु पुद्गल का अभाव कैसे हो सकता है। यदि परमाणु पुद्गल का अभाव होता तो ये सर्वकार्य - घटादि आकाश पुष्प की तरह कैसे उत्पन्न होते ? परमाणु का अभाव मानने पर घटादि को उत्पन्न करने वाली मृत्पिडादि सामग्री भी नहीं होती अतः सर्वसामग्री भी नहीं होती है । सर्वसामग्रीमय जाने जाते हैं ऐसा जो कहते हैं वह सामग्री परमाणु ही है । .४५ परमाणु पुद्गल—सामग्री-जन्य ( कारण समूह ) नहीं हैं सव्वं सामग्गिमयं नेगंतोऽयं जओऽणुरपएसो। अह सो वि सप्पएसो जत्थावत्था स परमाणू ॥ -विशेभा• गा १७३७ टोका-सर्व सामग्रीमयं सामग्रीजन्यं वस्त्वित्वमपि नकांतः यतो द्वयणुकादयः स्कंधाः सप्रदेशत्वाद् द्वयादिपरमाणुजन्यत्वा भवन्तु सामग्रीजन्याः, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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