SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 334
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २४२ पुद्गल-कोश इसी प्रकार उपर्युक्त रीति से आगे के यथा-संभव विकल्प घटा लेने चाहिए। '३ परमाणु पुद्गल और वायुकाय की स्पर्शना परमाणुपोग्गले गं भंते ! वाउयाएणं फुडे ? वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं फुडे ? गोयमा! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं फुडे। , -भग• श १८ । उ १.। सू १९६ । पृ० ७८५ परमाणु-पुद्गल वायुकाय से स्पृष्ट है, किन्तु वायुकाय परमाणु-पुद्गल से स्पृष्ट नहीं है। विवेचन-वायु महान (बड़ी) है। अनंतप्रदेशी पुद्गल स्कंध से वायुकाय का शरीर बना है और परमाणु पुद्गल प्रदेश रहित है। इसलिए परमाणु में वायु क्षिप्त (व्याप्त ) नहीं होती, क्योंकि वह उसमें नहीं समा सकती। अनन्त प्रदेशी स्कंध वायु से व्याप्त भी होता है तथा नहीं भी होता है। •४ स्कन्ध पुद्गल और वायुकाय को स्पर्शना दुप्पएसिए णं भंते ! खंध वाउयाएणं फुडे ? वाउयाए वा दुप्पएसिएणं खंधेणं फुडे ? एवं चेव । एवं जाव असंखेज्जपएसिए ।१९७। अणंत पएसिए णं भंते ! खंधे वाउयाएगं फुडे- पुच्छा। गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे वाउयाएणं फुडे, वाउयाए अणंतपएसिएणं खंधे सिय फुडे सिय नो फुडे । १९८ । -भग० श १८ उ १० । सू १९७, १९८ । पृ० ७८५ • द्विप्रदेशी स्कंध यावत् असंख्यात प्रदेशी स्कंध वायुकाय से स्पृष्ट है किन्तु वायुकाय द्विप्रदेशी स्कंध यावत् असंख्यात प्रदेशी स्कंध से स्पृष्ट नहीं है। __ अनन्त प्रदेशी स्कन्ध वायुकाय से स्पष्ट है किन्तु वायुकाय, अनंतप्रदेशी स्कन्ध से कदाचित् स्पृष्ट होता है और कदाचित् स्पृष्ट नहीं होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy