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________________ पुद्गल-कोश २४१ तीन प्रदेशी स्कंध में भी तीन प्रदेशों की अपेक्षा दो प्रदेशों का दो प्रदेशों का स्पर्श करते समय एक प्रदेश बाकी रहता है । अर्थात् उसके जो दो परमाणु एक आकाश प्रदेश पर रहे हुए हैं । वे दोनों भिन्न-भिन्न आकाश प्रदेश पर रहे हुए उस तीन प्रदेशी स्कंध के दो अंश हैं और एक परमाणु पुद्गल उन दो अंशों को स्पर्श करता है । इसलिए सर्व से दो देशों का स्पर्श करता है । इसलिए सर्व से दो देशों का स्पर्श करता - इस प्रकार का व्यपदेश करना संगत है । जब तीन प्रदेशी स्कंध परिणाम की सूक्ष्मता के कारण एक आकाश प्रदेश पर स्थित होता है, तब सर्व से सर्व को स्पर्श करता है - यह नववां विकल्प घटित होता है । ( इसी प्रकार परमाणु द्वारा चतुःप्रदेशी, पंचप्रदेशी आदि स्कंधों की स्पर्शना भी कहनी चाहिए | ) जब द्विप्रदेशी स्कंध, एक परमाणु पुद्गल को स्पर्श करता है, तब तीसरा और नववा - ये दो विकल्प घटित होते हैं । अर्थात् जब द्विप्रदेशी स्कंध, आकाश के दो प्रदेशों पर स्थित होता है, तब वह अपने एक देश द्वारा समस्त परमाणुओं को स्पर्श करता है और तब 'एक भाग से सर्व भाग को स्पर्श करता है ।' ( तीसरा विकल्प ) जब द्विप्रदेश स्कंध, आकाश के एक प्रदेश पर स्थित होता है, तब वह सर्वात्म द्वारा सर्व परमाणु को स्पर्श करता है । इसलिए यहाँ 'सर्व से सर्व, को स्पर्श करता है । ( नववा विकल्प घटित होता है । ) जब द्विदेशी स्कंध द्विप्रदेशी स्कंध को स्पर्श करता है तब पहला, तीसरा, सातवाँ और नववा - ये चार विकल्प घटित होते है । जब दोनों द्विप्रदेशी स्कंध, प्रत्येक प्रत्येक दो-दो आकाश प्रदेशों पर स्थित होते हैं तब वे परस्पर एक देश से एक देश को स्पर्श करते हैं तब प्रथम विकल्प घटित होता है । जब एक द्विप्रदेशी स्कंध एक आकाश प्रदेश पर स्थित होता है और दूसरा द्विप्रदेशी स्कंध दो आकाश प्रदेशों पर स्थित होता है, तब 'एक देश से सर्व को स्पर्श करता है - यह तीसरा विकल्प घटित होता है । क्योंकि दो आकाश प्रदेशों पर स्थितद्विदेशी स्कंध, अपने एक देश द्वारा एक आकाश पर स्थित द्विप्रदेशौ स्कंध के सर्व देशों को स्पर्श करता है । 'सर्व से देश को स्पर्श करता है'- यह सातवाँ विकल्प है क्योंकि एक आकाश पर स्थित द्विप्रदेशी स्कंध सर्वात्म द्वारा दो आकाश प्रदेशों पर स्थित द्विप्रदेशी स्कंध के एक देश को स्पर्श करता है । जब दोनों द्विप्रदेशी स्कंध, प्रत्येक प्रत्येक एक एक आकाश पर स्थित होते हैं ; तब 'सर्व से सर्व' को स्पर्श करता है—यह नवव विकल्प घटित होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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