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________________ पुद्गल-कोश २३३ सब पुद्गल सप्रदेशी भी होते हैं, अप्रदेशी भी होते हैं ; क्षेत्र से सप्रदेशी तथा अप्रदेशी दोनों प्रकार के पुदगल अनंत होते हैं। काल की अपेक्षा भी सब पुद्गल सप्रदेशी भी होते हैं, अप्रदेशी भी होते हैं ; काल से सप्रदेशी तथा अप्रदेशी दोनों प्रकार के पुद्गल अनंत होते हैं तथा भाव की अपेक्षा भी सब पुद्गल सप्रदेशी भी होते हैं, अप्रदेशी भी होते हैं। भाव से सप्रदेशी तथा अप्रदेशी दोनों प्रकार के पुदगल अनंत होते हैं। परमाणुपुद्गल द्रव्य से अप्रदेशी होता है, द्विप्रदेशी स्कंध पुद्गल से लेकर अनंतप्रदेशी स्कंध पुदगल सप्रदेशी होते हैं। एक आकाशप्रदेश में अवस्थित पुद्गल क्षेत्र से अप्रदेशो होता है अनेक आकाशप्रदेश में अवस्थित पुद्गल क्षेत्र से सप्रदेशी होता है। एक समय की स्थितिवाला पुद्गल काल से अप्रदेशी होता है, अनेक समय की स्थितिवाला पुद्गल काल से सप्रदेशी होता है। एक गुण काला पुद्गल भाव से अप्रदेशी होता है, अनेक गुण काला पुद्गल भाव से सप्रदेशी होता है। इसी प्रकार एक गुण वर्णवाला, एक गुण रसवाला, एक गुण गंधवाला तथा एक गुण स्पर्शवाला पुदगल उस-उस अपेक्षा से भाव से अप्रदेशी होता है, अनेक गुणवर्णवाला, अनेक गुण रसवाला, अनेक गुण गंधवाला तथा अनेक गुण स्पर्शवाला पुद्गल उस-उस अपेक्षा से भाव से अप्रदेशी होता है । (ख) जे दव्वओ अपएसे से खेत्तओ णियमा अपएसे, कालओ सिय सपएसे, सिय अपएसे ; भावओ सिय सपएसे, सिय अपएसे, जे खेत्तओ अपएसे से दव्वओ सिय सपएसे, सिय अपएसे, कालओ भयणाए, भावओ भयणाए, जहा खेत्तओ एवं कालओ, भावओ। -भग० श ५ । उ ८ । सू २ । पृ० ४८७ जो पुद्गल द्रव्य से अप्रदेशी है वह क्षेत्र से नियम से अप्रदेशी है, वह काल से कदाचित् सप्रदेशी है, कदाचित् अप्रदेशी है तथा वह भाव से कदाचित् सप्रदेशी है, कदाचित् अप्रदेशी है। द्रव्य से अप्रदेशी पुद्गल नियम से क्षेत्र का एक ही प्रदेश अवगाहन कर सकता है, अनेक क्षेत्र प्रदेश का अवगाहन नहीं कर सकता है। वह द्रव्य से अप्रदेशी पुद्गल काल से एक समय की स्थितिवाला भी होता है, अनेक समय की स्थितिवाला भी होता है। वह द्रव्य से अप्रदेशी पुद्गल भाव से एक गुणवाला भी होता है, अनेक गुण भाववाला भी होता है। ___ जो पुद्गल क्षेत्र से अप्रदेशी है वह द्रव्य से कदाचित सप्रदेशी है, कदाचित् अप्रदेशी है ; वह क्षेत्र से अप्रदेशी पुद्गल काल से कदाचित् सप्रदेशी है, कदाचित् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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