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________________ २३२ पुद्गल-कोश अपेक्षा चार विकल्प होते हैं तथापि पुदगलास्तिकाय के एक प्रदेश में चार विकल्प नहीं होते हैं । केवल प्रथम के दो विकल्प होते हैं क्योंकि ( प्रदेश ) परमाणु एक है अतः उसमें द्विकसंयोगादि रूप बहुत्व का अभाव है। पुद्गलास्तिकाय के दो प्रदेश में प्रथम के पांच भंग पाये जाते हैं। पुद्गलास्तिकाय के दो प्रदेश-(१) जब वे दो प्रदेश द्विप्रदेशी स्कंध रूप में परिणत होते हैं तब उन्हें एक द्रव्य कहते हैं । २) जब वे द्विप्रदेशी स्कंधभाव को उपगत होकर दूसरे द्रव्य के साथ सम्बन्ध को प्राप्त हो जाते हैं तब उन्हें एक द्रव्य कहते हैं । (३) जब वे अलग-अलग व्यवस्थित होकर रहते हैं तब वे दो द्रव्य हैं अर्थात् बहुत द्रव्य हैं। (४) जब वे द्विप्रदेशी स्कंधभाव को प्राप्त न कर-दूसरे द्रव्य के साथ सम्बन्ध को प्राप्त हो जाते हैं तब उन्हें दो द्रव्य देश कहते हैं अर्थात् बहुत द्रव्य देश कहते हैं । (५) जब उनमें से एक प्रदेश अकेला स्थित होता है तथा दूसरा प्रदेश दूसरे द्रव्य के साथ सम्बन्धित हो जाता है तब एक द्रव्य है और दूसरा एक द्रव्य देश है। (६) शेष विकल्प सम्भव नहीं है अतः उनका प्रतिषेध किया गया है । पुद्गलास्तिकाय के तीन प्रदेश में प्रथम के सात भंग पाये जाते हैं-(१) इनमें आंठवां भंग नहीं पाया जाता है क्योंकि तीन प्रदेशों में दोनों पक्ष में बहुवचन का अभाव है, उनके एक तरफ दो प्रदेश तथा एक तरफ एक प्रदेश ही सम्भव है अतः 'दव्वाइ' तथा 'दव्वदेसा' भंग नहीं बन सकता है। पुद्गलास्तिकाय के चार प्रदेशों, पाँच, छह, सात, आठ, नो, दस, संख्यात, असंख्यात तथा अनंत प्रदेशों में आठों भंग पाये जाते हैं। .१९ पुद्गल का सप्रदेशत्व-अप्रदेशत्व •१ द्रव्य अपेक्षा .२ क्षेत्र अपेक्षा ३ काल अपेक्षा •४ भाव अपेक्षा (क) दव्वादेसेण वि मे अज्जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि अणंता, खेत्तादेसेण वि एवं चेव, कालादेसेण वि, भावादेसेण वि एवं चेव। -भग. श ५ । उ ८ सू २ । पृ० ४८७ द्रव्य की अपेक्षा सर्व पुदगल सप्रदेशी भी होते हैं, अप्रदेशी भी होते हैं, द्रव्य से संप्रदेशी तथा अप्रदेशी दोनों प्रकार के पुद्गल अनत होते हैं। क्षेत्र की अपेक्षा भी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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