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________________ २३४ पुद्गल-कोश अप्रदेशी है ; वह क्षेत्र से अप्रदेशी पुद्गल भाव से कदाचित् सप्रदेशी है, कदाचित् अप्रदेशी है। एक आकाशप्रदेश का अवगाहन करने वाले पुद्गल द्रव्य से अप्रदेशी अर्थात परमाणु भी हो सकते हैं, द्रव्य से सप्रदेशी अर्थात स्कंध भी हो सकते हैं । एक आकाशप्रदेश का अवगाहन करने वाले पुद्गल काल से एक समय की स्थितिघाले भी होते हैं, अनेक समय की स्थितिवाले भी होते हैं । एक आकाशप्रदेश का अवगाहन करने वाले पुदगल भाव से एक गुणभाव वाले भी होते हैं, अनेक गुण भाव वाले भी होते हैं। काल से अप्रदेशी पुद्गल अर्थात् एक समय की स्थितिवाले पुद्गल द्रव्य से कदाचित् सप्रदेशी अर्थात् स्कंध होता है, कदाचित् अप्रदेशी अर्थात् परमाणु होता है। वह काल से अप्रदेशी पुद्गल क्षेत्र से कदाचित् सप्रदेशी अर्थात् अनेक आकाशप्रदेश का अवगाहन करने वाला होता है, कदाचित् अप्रदेशी अर्थात् एक आकाशप्रदेश का अवगाहन करनेवाला होता है तथा वह काल से अप्रदेशी पुद्गल भाव से कदाचित् सप्रदेशी अर्थात् अनेक गुणभाववाला होता है, कदाचित् अप्रदेशी अर्थात् एक गुणभाववाला होता है। भाव से अप्रदेशी पुद्गल अर्थात् एक गुण भाववाले पुद्गल द्रव्य से कदाचित सप्रदेशी अर्थात् स्कंध होता है, कदाचित् अप्रदेशी अर्थात् परमाणु होता है। वह भाव से अप्रदेशी पुद्गल क्षेत्र से कदाचित् सप्रदेशी अर्थात् अनेक आकाशप्रदेश का अवगाहन करनेवाला होता है, कदाचित् अप्रदेशी अर्थात् एक आकाशप्रदेश का अवगाहन करने वाला होता है। वह भाव से अप्रदेशी पुद्गल काल से कदाचित् सप्रदेशी अर्थात् अनेक समय की स्थितिवाला भी होता है, कदाचित् अप्रदेशी अर्थात् एक समय की स्थितिवाला भी होता है । (ग) जे दग्धओ सपएसे से खेत्तओ सिय सपएसे, सिय अपएसे ; एवं कालओ, भावमओ वि । जे खेत्तओसपएसे से दव्वओ णियमा सपएसे, कालओ भयणाए, भावओ भयणाए, जहा दव्वओ तहा कालओ, भावमओ वि। -भग० श ५ । उ ८ । सू २ । पृ० ४८७ जो पुद्गल द्रव्य से सप्रदेशी है अर्थात् स्कंध पुदगल है वह क्षेत्र से कदाचित् सप्रदेशी, अनेक आकाशप्रदेश का अवगाहन करने वाला होता है, कदाचित् अप्रदेशी, एक आकाशप्रदेश का अवगाहन करनेवाला होता है। वह काल से कदाचित् सप्रदेशी अनेक समय की स्थितिवाला होता है, कदाचित् अप्रदेशी, एक समय की स्थितिवाला, होता है। वह भाव से कदाचित् सप्रदेशी अनेक गुण भाववाला होता है, कदाचित् अप्रदेशी, एक गुण भाववाला होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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