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________________ पुद्गल-कोश २३१ परिणतावेकश्च द्रव्यान्तरेण संबद्धोऽथवा एकः केवल एव स्थितो द्वौ तु द्वयणुकतया परिणतस्य द्रव्यान्तरेण संबद्धौ तदा (कव्वे च दव्वदेसे य त्ति ५) पदा तु तेषामेकः केवल एव स्थितो द्वौ च भेदेन द्रव्यान्नरेण संबद्धौ तवा ( दव्वं च दव्वदेसा य त्ति ६ ), यदा पुनस्तेषां द्वौ भेदेन स्थितावेकश्च द्रव्यान्तरेण संबंद्धस्तदा ( दवाईच दन्ददेसे यत्ति ७) अष्टम-विकल्पस्तु न संभवति, उभयत्र त्रिषु प्रदेशेषु बहुवचनाभावात् । प्रदेशचतुष्टयाऽदौ त्वष्टमोऽपि संभवत्युभवताऽपि बहुवचनसद्भावाविति। ____एक, द्वय अणुक आदि पुद्गलों की राशि-पिण्ड-स्कंध के निरंश-अविभाज्य अंश को पुद्गलास्तिकाय का प्रदेश कहते हैं । परमाणु को द्रव्य कहते हैं क्योंकि वह गुणपर्याययुक्त होता है लेकिन जब वह परमाणु किसी स्कंध का अंश होता है तब द्रव्य देश-द्रव्य का अवयव कहलाता है। स्वतंत्र परमाणु अप्रदेशी कहलाता है लेकिन किसी स्कंध में जड़ित परमाणु प्रदेश कहलाता है। द्रव्य और द्रव्य देश के एक वचन तथा बहुवचन की अपेक्षा चार विकल्प बनते हैं तथा द्रव्य और द्रव्यदेश के युगल के भी एकवचन-बहुवचन की अपेक्षा चार विकल्प बनते हैं। यथा १-द्रव्य है। २- द्रव्य देश हैं। ३-द्रव्य ( बहुवचन ) हैं। ४-द्रव्य देश ( बहुवचन ) हैं । ५-एक द्रव्य और एक द्रव्य देश है । ६-एक द्रव्य और बहुत द्रव्य देश हैं । ७-बहुत द्रव्य तथा एक द्रव्य देश है । ८-बहुत द्रव्य तथा बहुत द्रव्य देश हैं । पुद्गलास्तिकाय के एक प्रदेश में प्रथम के दो भंग पाये जाते हैं। यद्यपि पुद्गलास्तिकाय के प्रदेश के द्रव्य और द्रव्य देश के एक वचन और बहुवचन की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016030
Book TitlePudgal kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1999
Total Pages790
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size12 MB
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