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________________ ( 62 ) (ख) औदारिकशरीर वाले मनुष्य और तिर्यंच वैक्रियलब्धि का प्रयोग कर वैक्रिय रूप बनाते हैं । उस लब्धि को समेटते समय जबतक औदारिकशरीर पूरा नहीं बनता है तबतक औदारिककाययोग के साथ वैक्रिय का मिश्र होता है । मन हमारी प्रवृत्ति का सूक्ष्म किन्तु प्रमुख कारण है । मन के द्वारा होने वाला आत्मा का प्रयत्न मनोयोग है। उसके चार भेद है । १ - सत्य के विषय में होने वाली मन की प्रवृत्ति सत्य मनोयोग है । २ - असत्य के विषय में होने वाली मन की प्रवृत्ति असत्य मनोयोग है । ३ - सत्य-असत्य के मिश्रण से होने वाली मन की प्रवृत्ति मिश्र मनोयोग है । ४ – मन की जो प्रवृत्ति सत्य भी नहीं है, असत्य भी नहीं है । उस प्रवृत्ति का नाम व्यवहार मनोयोग है । इसका सम्बन्ध मुख्यतः आदेशात्मक, उपदेशात्मक चिन्तन से है भाषा के द्वारा होने वाला आत्मा का प्रयत्न वचनयोग है । वचनयोग के चार प्रकार है । शरीर के द्वारा होने वाला आत्मा का प्रयत्न काययोग है । काययोग का सम्बन्ध शरीर के साथ है । शरीर पांच है— ओदारिक, वैक्रिय, आहारक, तेजस और कार्मण । मनुष्य और तिर्यंच गति के जीव औदारिक शरीर वाले होते हैं । औदारिक शरीर स्थूल होते हैं । औदारिक शरीर वाले जीवों की हलन चलन रूप प्रवृत्ति औदारिक काययोग कहलाती है । काययोग का दूसरा भेद - औदारिक मिश्र काययोग है । औदारिक का मिश्र कार्मण, वैक्रिय और आहारक इन तीनों शरीरों के साथ होता है । वह चार प्रकार से हो सकता है । मनोयोग की तरह मृत्यु के समय पीछला शरीर छूट जाता है। उसके बाद मनुष्य और तिर्यंच गति उत्पत्ति स्थान में पहुँचकर आहार ग्रहण कर लेता है, पूरा नहीं होता है तब तक कार्मण काययोग के साथ मैं उत्पन्न होने वाला जीव अपने नये पर जब तक शरीर पर्याप्ति का बंध औदारिकमिश्र होता है । कर्म बंधन से बचने हेतु मन, वचन और काया के योगों को व उपायों पर नियंत्रण करना होगा । इस प्रकार के पुरुषार्थ से हम अशुभ कर्म को शुभ कर्म बना सकते हैं । कर्म के उदय में आने के पूर्व हम पुरुषार्थं द्वारा उसके परिणामों में परिवर्तन कर सकते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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