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________________ ( ३०५ ) नीलेश्यावाले भवसिद्धिक नारकी के चारों युग्म का कथन नीललेशी औधिक उद्देशक के अनुसार कहना । ५३.१३ क्षुद्रयुग्म आदि कापोत लेशी भवसिद्धिक नारकी के योग आदि से परभव का आयुष्य बंध काउलेस्सा भवसिद्धिया चउसुवि जुम्मेसु तहेव उववाएयव्वा जहेव ओहिए काउले उद्देस | - भग० श० ३१ । उ८ कापोत लेश्यावाले भवसिद्धिक नारकी के चारों युग्म का निरुपण औधिक कापोत लेशी उद्देशक के अनुसार कहना । - ५३.१४ अभवसिद्धिक कृतयुग्म आदि चार युग्म के आयुष्य-बंधन योग आदि से जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि उद्देगा भणिया एवं अभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देगा भाणियव्वा जाव काउलेस्सा उद्देसओ ति । - भग० श० ३१ । उ९ से १२ • ५३.१५ सम्यग्दृष्टि कृतयुग्म आदि चार युग्म और सयोगी आयुष्य बंध मिथ्यादृष्टि 11 एवं सम्मदिट्ठीहि वि लेस्सा संजुतेह चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं सम्मदिट्ठी पढमबिएसु वि दोसु वि उद्देसएस अहेसत्तमापुढवीए ण उववाgraat | एवं भवसिद्धिएहि । मिच्छादिट्ठीहि विचसारि उद्देसगा कायव्वा जहा भवसिद्धियाणं । Jain Education International 11 - भग० श० ३१ । उ १३ से १६ '५३ १६ कृष्णपाक्षिक कृतयुग्म आदि के आयुष्य बंध योग आदि से शुक्लपाक्षिक 11 – भग० श० ३१ । उ १७ से २० 99 पक्खिहि वि लेस्सासंजुतेहि चत्तारि उद्देसगा कायव्या जहेव For Private & Personal Use Only — भग० श० ३१ । उ २१ से २४ www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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