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________________ ( १३७ ) अल्पबहुत्व दो प्रकार के हैं -योगस्थान अल्पबहुत्व और योगविभागप्रतिच्छेद अल्पबहुत्व । उनमें योगस्थान अल्पबहुत्व इस प्रकार है । सात लब्ध्यपर्याप्तकों के उपपाद-योग-स्थान सबसे स्तोक है। उससे उनके एकांतानुवृद्धि योगस्थान असंख्यातगुणे हैं । उनसे परिणाम योगस्थान असंख्यातगुणे हैं। सात निवृत्ति अपर्याप्त जीव समासों के उपपाद योगस्थान सबसे स्तोक है। उनसे एकांतानुवृद्धि योग-स्थान असंख्यातगुणे हैं। सात निर्वृत्तिपर्याप्तकों के अल्पबहुत्व नहीं है क्योंकि, परिणामयोगस्थानों को छोड़कर उनमें अन्य योग-स्थानों का अभाव है। गुणकार सर्वत्र पल्योपम का खसंख्यातवां भाग है। •११ करण-कृति की अपेक्षा यौगिक जीवों का परस्थान अल्पबहुत्व पंचमणजोगि-तिण्णिवचिजोगीसु सव्वत्थोवा आहारपरिसादणकदी। संघादण-परिसादणकदी विसेसाहिया। वेउब्वियपरिसादणकदी असंखेज्जगुणा । ओरालियपरिसादणकदी विसेसाहिया। ओरालियसंघादण-परिसादणकवी असंखेज्जगुणा । वेउब्वियसंघादण-परिसादणकदी संखेज्जगुणा। तेजाकम्मइयसंधादणपरिसादणकदी विसेसाहिया। वचिजोगि-असच्चमोसवचिजोगीसु सव्वत्थोवा आहारपरिसादणकदी। संघादण-परिसादणकदी विसेसाहिया। वेउवियपरिसादणकदी असंखेज्जगुणा। ओरालियसंघादण-परिसादणकदी संखेज्जगुणा। तेजा-कम्मइयसंघादण-परिसादणकदी विसेसाहिया। कायजोगो ओघं । णवरि तेजा-कम्मइयपरिसादणकदी णत्थि । ओरालियकायजोगीसु सव्वत्थोवा आहारपरिसादणकदी। वेउव्वियसंघादणमसंखेज्जगुणं । परिसावणकदी असंखेज्जगुणा। संघावणपरिसावणकदी विसेसाहिया। ओरालियपरिसादणकदी विसेसाहिया। ओरालियसंघादण-परिसादणकदी अणंतगुणा। तेजा-कम्मइयसंघादण-परिसादणकदी विसेसाहिया। ओरालियमिस्सकायजोगीस पंचिदियअपज्जत्तभंगो। वेउब्विय-कायजोगीसु पत्थि अप्पाबहुगं, तिष्णिपदाणं सारिच्छियादो। वेउब्वियमिस्स-कायजोगीणं णारगभंगो। आहारकायजोगीसु पत्थि अप्पाबहुगं, चदुण्हं पदाणं सारिच्छियादो। आहारमिस्सकायजोगीसु सव्वत्थोवा आहारसंघादणकदी। संघादण-परिसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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