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________________ ( १०५ ) .५७ सयोगी अनंतरोपपन्नक नारकी और समवसरण को अपेक्षा भवसिद्धिक अभवसिद्धिक सलेस्सा णं भंते किरियावाई अणंतरोववण्णगा रइया कि भवसिद्धीया, अभवसिद्धीया ? गोयमा ! भवसिद्धीया, णो अभवसिद्धीया। एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिए उद्देसए रइया वत्तव्वया भणिया तहेव इहवि भाणियव्वा जाव अणगारोवउत्तति । -भग• श ३० । उ २ । सू ७ सयोगी-काययोगी अनंतरोपपन्नक क्रियावादी नारकी भवसिद्धिक है अभवसिद्धिक नहीं है । अक्रियावादी, अज्ञानवादी, विनयवादी भवसिद्धिक भी है, अभवसिद्धिक भी है। सयोगी अनंतरोपपन्नक असुरकुमार यावत् वैमानिकदेव और समवसरण को अपेक्षा भवसिद्धिक-अभवसिद्धिक एवं जाव वेमाणियाणं । णवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं । इमं से लक्खणं-जे किरियावाई सुक्कपक्खिवा सम्मामिच्छदिट्ठीया एए सम्वे भवसिद्धीया, णो अभवसिद्धीया। सेसा सव्वे भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। -भग० श ३० । उ २ । सू ७ ___ अनंतरोपपन्नक सयोगी, काययोगी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार क्रियावादी भवसिद्धिक है, अभवसिद्धिक नहीं है। अक्रियावादी-अज्ञानवादी-विनयवादी भवसिद्धिक भी है, अभवसिद्धिक भी है। नोट-तत्काल उत्पन्न हुआ जीव अनन्तरोपपन्नक कहाता है। क्रियावादी, शुक्लपासिक व सम्यग्दृष्टि-ये भव्य ही होते हैं, अभव्य नहीं । शेष जीव भव्य-अभव्य दोनों प्रकार के हैं। अलेशी, सम्यगमिथ्यादृष्टि ज्ञानी, अवेदी, अकषायी व अयोगी-ये भव्य ही होते हैं, इनका समावेश क्रियावादी में हो गया। इसी प्रकार यावत् वैमानिकदेव तक जानना लेकिन जिसके जो संभव हो वह कहना। .५८ सयोगी परंपरोपपन्नक नारकी यावत् वैमानिक क्रियावादी मावि सयोगी परंपरोपपत्रक यावत वैमानिक क्रियावादी आदि और आयुष्यबंध सयोगी परंपरोपपन्नक यावत् वैमानिक क्रियावादी और भवसिद्धिकअभबसिद्धिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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