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________________ ( ९९ ) सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी क्रियावादी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार क्रियावादी नारकी की तरह एकमात्र मनुष्य का ही आयुष्य बांधते हैं । * २७ सयोगी असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार और अक्रियावादी की अपेक्षा आयुष्य बंध एवं जाव थणियकुमारा जहेव णेरइया । - भग० श ३० । उ १ । सू २४ सयोगी-मनोयोगी-वचनयोगी व काययोगी असुरकुमार नारकी योनिक का भी आयुष्य बांधते हैं, मनुष्य का भी आयुष्य बांधते हैं । आयुष्य नहीं बांधते हैं । • २८ सयोगी पृथ्वी कायिक और समवसरण की अपेक्षा आयुष्यबंध सलेस्सा णं भंते ! ( अकिरयावाई x x x अण्णाणियवाई ) एवं जं जं प अस्थि पुढविकाइयाणं तह-तह मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेइ । णवरं तेउलेस्साए णं किं पि पकरेइ । -भग० श ३० । उ १ । सू २६ योगी - काययोगी पृथ्वी कायिकजीव - अक्रियावादी अज्ञानवादी नारकी और देव का आयुष्य नहीं बांधते हैं -- किन्तु मनुष्य और तिर्यंच का आयुष्य बांधते हैं । लेकिन उनके तेजोलेश्या में किसी भी आयुष्य का बंध नहीं होता है । 1 की तरह तिर्यंचदेव व नारकी का • २९ सयोगी अपकायिक जीव और समवसरण की अपेक्षा आयुष्यबंध एवं आउकाइयाणवि । - भग० श ३० । उ १ । सू २७ सयोगी - काययोगी अपकायिक अक्रियावादी व अज्ञानवादी होते हैं । बे लियंच एवं मनुष्य का आयुष्य बांधते हैं - देव व नारकी का आयुष्य नहीं बांधते हैं । Jain Education International • ३० सयोगी वनस्पतिकायिक जीव और समवसरण की अपेक्षा आयुष्य बंध एवं वणस्सइकाइयाण वि । - भग० श ३० । उ १ । सू २७ इसी प्रकार सयोगी- काययोगी वनस्पतिकायिक जीव दोनों समवसरण में तिर्यंच व मनुष्य का आयु बांधते हैं । देव का व नारको का आयुष्य नहीं बांधते हैं । - ३१ सयोगी अग्निकायिक जीव और समवसरण में आयुष्यबंध • ३२ सयोगी वायुकायिक जीव और समवसरण में आयुष्यबंध For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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