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________________ ६२ [र्थिक ] उपोषित, उपवास | जिसने उपवास किया हो वह । अभय न. भय का अभाव, धैर्य । जीवित, मरण का अभाव। वि. निर्भीक । पुं. राजा श्रेणिक का एक विख्यात पुत्र और मन्त्री, जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी। कुमार पुं. देखो अनन्तरोक्त अर्थ । 'दय वि. भयविनाशक, जीवित-दाता | दाण न [° दान ] जीवित-दान | देव पुं. कई एक विख्यात जैनाचार्य और ग्रन्थकारों का नाम । पदाण न [' प्रदान ] जीवित का दान । 'वत्त न [वत्त्व] निर्भयता | सेण पुं [°सेन] एक संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष राजा का नाम । अभयकरा स्त्री. भगवान् अभिनन्दन की दीक्षाशिविका । अभया स्त्री. हरीतकी । राजा दधिवाहन की स्त्री का नाम । अभयारिट्ठ न [अभयारिष्ट ] मद्य-विशेष । अभाअ वि [अभाग] अस्थान, अयोग्य स्थान | अभाइ वि [ अभागिन् ] अभागा । हतभाग्य । अभागधेज्जवि [ अभागधेय ] ऊपर देखो । अभाव पुं. ध्वंस, नाश । अविद्यमानता । असत्व | असम्भव | अशुभ परिणाम । अभावि वि [अभावित ] अयोग्य, अनुचित । अभासग वि [अभाषक] बोलने की शक्ति जिसको उत्पन्न न हुई हो वह । नहीं बोलनेवाला । पुं. केवल त्वग्इन्द्रियवाला, एकेन्द्रिय जीव | मुक्त आत्मा । अभासा स्त्री [अभाषा ] असत्य वचन | सत्यमिश्रित असत्य वचन | अभासय अभि अ. इन अर्थों का सूचक उपसर्ग - संमुख, चारों ओर । बलात्कार | उल्लंघन । अत्यन्त । लक्ष्य । प्रतिकूल | विकल्प | संभावना | निरर्थक भी इसका प्रयोग होता है । अभिअण पुं [अभिजन ] कुल | जन्मभूमि | अभिआवरण वि [ अभ्यापन्न ] संमुख आगत । Jain Education International -अभि अभिइ स्त्री [अभिजित् ] नक्षत्र - विशेष । अभिइसक [अभि + इ] संमुख जाना । अभिउंज देखो अभिजुंज । अभिओअ ) पुं [ अभियोग] उद्यम | आज्ञा । अभिओग बलात्कार | बलात्कार से कोई भी कार्य में लगाना । पराभव । वशीकरण, वश करने का चूर्ण या मन्त्र-तन्त्रादि । अभिमान । आग्रह | पण्णत्ति स्त्री [ प्रज्ञप्ति ] विद्याविशेष | देखो अहिओय । अभिओगी स्त्री [अभियोगी ] भावना - विशेष, ध्यान - विशेष, जो अभियोगिक देव-गति ( नौकर - स्थानीय देव - जाति) में उत्पन्न होने का हेतु है । अभिओयण न [ अभियोजन ] देखो अभिओग | अभिंग अभि देखो अब्भंग | अभिकख सक [अभि + काङ्क्ष ] चाहना । अभिकखा स्त्री [अभिकाङ्क्षा ] इच्छा | अभित वि [ अभिक्रान्त ] गत, अतिक्रान्त | संमुख गत | आरब्ध | उल्लंघित । अभिक्कम सक [अभि + क्रम् ] जाना, गुजरना । सामने जाना । उल्लंघन करना शुरू करना । अभिक्ख अ [अभीक्ष्ण] बारंबार । अभिक्खा स्त्री [अभिख्या ] नाम | अभिगच्छ सक [ अभि + गम् ] प्राप्त करना । सामने जाना । अभिगज्ज अक [ अभि + गर्ज ] गर्जना | अभिगम देखो अभिगच्छ । अभिगम पुं [ अभिगम] प्राप्ति, स्वीकार । आदर | ( गुरु का ) उपदेश । ज्ञान, निश्चय । सम्यक्त्व का एक भेद । प्रवेश । अभिगय वि [ अभिगत ] प्राप्त । सत्कृत | उपदिष्ट । प्रविष्ट । ज्ञात, निश्चित । अभ िन [ अभिग्रहिक ] मिथ्यात्वविशेष | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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