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________________ सउणिआ-संकला संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७८१ सउणिआ , स्त्री [शकुनिका, नी] पक्षी | संकट्टिअ वि [संकर्तित] काटा हुआ। सउणिगा की मादा । पक्षि-विशेष की संकट वि [संकष्ट] व्याप्त । सउणी मादा । संकट्ठ देखो संकिट्ठ। सउण्ण देखो स-उण्ण = सपुण्य । | संकड वि [संकट] संकीर्ण, कम चौड़ा, अल्प सउत्ती स्त्री [सपत्नी] सौत । अवकाशवाला । विषम, गहन । न. दुःख । सउम पुं. सिद्मन्] गृह । जल । संकडिल्ल वि [दे] निश्छिद्र । सउमार वि [सुकुमार] कोमल । सकड्ढिय वि [संकर्षित] आकर्षित । सउर पुं [ सौर ] शनैश्चर । यम । उदुम्बर संकप्प पुं [संकल्प] अध्यवसाय, मनःपरिणाम । का पेड़ । वि. सूर्य का उपासक । सूर्य- संगत आचार, सदाचार । अभिलाष । जोणि सम्बन्धी। पुं[°योनि कामदेव । सउरि पुं [शौरि] विष्णु, श्रीकृष्ण । संकम अक [सं+क्रम्] प्रवेश करना । गति सउरिस देखो स-उरिस = सत्पुरुष । करना। सउल पुं [शकुल] मत्स्य । संकम पुं [संक्रम] सेतु । संचार । जीव जिस सउलिअ वि [दे] प्रेरित । कर्म-प्रकृति को बाँधता हो उसी रूप से अन्य सउलिआ) स्त्री [ दे. शकुनिका, नी] | प्रकृति के दल को प्रयत्न द्वारा परिणमाना । सउली चील पक्षी की मादा । एक | संकमग वि [संक्रामक] संक्रमण-कर्ता । महौषधि । 'विहार पुं. गुजरात के भरौच | संकमण न [संक्रमण] प्रवेश । संचार । शहर का एक प्राचीन जैन मन्दिर । चारित्र, संयम । देखो संकम का तीसरा सउह पुं[सौध] राज-महल । न. चाँदी । पुं. | मोधी राज-मटल। न चाँदी । पं | अर्थ । प्रतिबिम्बन । पाषाण-विशेष । वि. सुधा-सम्बन्धी, अमृत | संकर पुं [दे] रथ्या, मुहल्ला । संकर पुं शङ्कर] शिव । वि. सुख करनेसएज्झिअ देखो सइज्झि । वाला। सओस देखो स-ओस = स-तोष, सदोष । संकर पुं. मिलावट । न्यायशास्त्र-प्रसिद्ध एक सं अ [शम्] सुख, शर्म । दोष । शुभाशुभ-रूप मिश्र भाव । अशुचिसं अ [सम्] इन अर्थों का सूचक अव्ययप्रकर्ष । संगति । सुन्दरता, शोभनता । | संकरण न. अच्छी कृति । समुच्चय । योग्यता। संकरिसण पुं [संकर्षण] भारतवर्ष का भावी संक सक [शङ्क्] संशय करना । अक. | नवा बलदेव । डरना । संकरी स्त्री [शङ्करी] विद्या-विशेष । देवीसंकंत वि [संक्रान्त] प्रतिबिम्बित । प्रविष्ट । विशेष । सुख करनेवाली । प्राप्त । संक्रमणकर्ता । संक्रांति-युक्त । पिता | संकल सक [सं+ कलय] संकलन करना, आदि से दाय रूप से प्राप्त स्त्री का धन । । जोड़ना। संकति स्त्री [संक्रान्ति] संक्रमण, प्रवेश । सूर्य संकल पुंन [शृङ्खल] सांकल, निगड़ । बेड़ी। आदि का एक राशि से दूसरी राशि में | सिकड़ी, आभूषण-विशेष । जाना। संकलण न [संकलन] मित्रता, मिलावट । संकंदण पुं [संक्रन्दन] इन्द्र । संकला स्त्री [शृङ्खल] देखो संकल = का । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary:org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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