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________________ ७८२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष संकलिअ-संख संकिलिट्ट वि [संक्लिष्ट] संक्लेश-युक्त । संकलिअ वि [संकलित] एकत्र-किया हुआ । संकिलिस्स अक [ सं + क्लिश ] क्लेश पाना, युक्त । योजित, जोड़ा हुआ। संगृहीत। न. दुःखी होना । मलिन होना । संकलन, कुल जोड़। | संकिलेस पुं [संक्लेश] असमाधि, दुख, कष्ट, संकलिआ स्त्री [ संकलिका ] परम्परा ।। । हैरानी । मलिनता। संकलन । सूत्रकृतांग सूत्र का पनरहवा | संकीलिअ वि [संकीलित] कील लगाकर अध्ययन । जोड़ा हुआ। संकलिआ ) स्त्री [शृङ्खलिका, °ली] संकु पुं [शङ्क] शल्य अस्त्र । कोलक । °कण्ण संकली । सांकल, सिकड़ी, जंजीर, | न [°कर्ण] एक विद्याधर-नगर । निगड़ । संकुइय वि [संकुचित] सकुचा हुआ, संकोचसंकहा स्त्री [संकथा] संभाषण, वार्तालाप । __ प्राप्त । न. संकोच । संका स्त्री [शङ्का] संशय । भय । "लुअ वि | संकुक पुं शङ्कक] वैताढ्य पर्वत की उत्तर [°वत्] शंकावाला। श्रेणी का एक विद्याधर-निकाय । संकाम देखो संकम = सं + क्रम् ।। संकुका स्त्री [शङ्कका] विद्या-विशेष । संकाम सक [सं + क्रमय] संक्रम करना, बंधी संकुच अक [सं + कुच्] सकुचना, संकोच जाती कर्म-प्रकृति में अन्य प्रकृति के कर्म-दलों | करना। को प्रक्षिप्त कर उस रूप से परिणत करना । संकुड वि (संकुट] सकरा, संकुचित । संकामण न [संक्रमण] संक्रम-करण। प्रवेश | संकुद्ध वि [संक्रुद्ध] क्रोध-युक्त । कराना। एक स्थान से दूसरे स्थान में ले | संकुय देखो संकुच ।। जाना। | संकुल वि. व्याप्त, पूर्ण भरा हुआ । संकामणा स्त्री [संक्रमणा] संक्रमण, पैठ । संकुलि । देखो सक्कुलि। संकामणी स्त्री [संक्रमणी] जिससे एक से | संकुली' । दूसरे में प्रवेश किया जा सके वह विद्या। । संकुसुमिअ वि [संकुसुमित] सुपुष्पित । संकामिय वि [संक्रमित] एक स्थान से दूसरे | संकेअ सक [सं + केतय ] इशारा करना । स्थान में नीत। मसलहत करना । संकार देखो सक्कार = संस्कार । संकेअj [संकेतइशारा, इंगित । प्रियसंकास वि [संकाश]समान । पुं. एक श्रावक । समागम का गुप्त स्थान । वि. चिह्न-युक्त । संकासिया स्त्री [संकाशिका] एक जैन मुनि- न, प्रत्याख्यान-विशेष । शाखा। संकेअ वि [साङ्केत] संकेत-सम्बन्धी। न. संकिट्ठ वि [संकृष्ट] विलिखित, जोता हुआ । प्रत्याख्यापन-विशेष । खेती किया हुआ। संकेल्लिअ वि [दे] सकेला हुआ । संकि? देखो संकिलिटू। संकेस देखो संकिलेस। संकिण्ण वि [संकीर्ण] सँकरा, तंग, अल्पा- | संकोअ सक [सं + कोचय ] समेटना, संकुवकाशवाला । व्याप्त । मिश्रित । पुं. हाथी की | चित करना। एक जाति । | संकोड पुं[संकोट] सकोड़ना, संकोच । । संकित्तण न [संकीर्तन] उच्चारण । | संख पुंन [शङ्ख] शंख । पुं. ज्योतिष्क प्रह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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