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________________ ७४५ विदब्भ-विदुम संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष देखो विद्दड्ढ । विदूसग । पुं [विदूषक] राजा के साथ विदब्भ पुंस्त्री [विदर्भ] देश-विशेष । सुपार्श्व- विदूसय , रहने वाला मुसाहब । नाथ के गणघर । पुंस्त्री. विदर्भ की प्राचीन विदेस देखो विएस = विदेश । राजधानी, कुण्डिनपुर, आजकल 'नागपुर'। विदेसिअ वि [वैदेशिक] परदेशी। विदरिसण वि [विदर्शन] भय उत्पन्न हो विदेह पुं. राजा जनक । पुं. ब. बिहार का बह वस्तु, विरूप आकारवाली विभीषिका उत्तरीय प्रदेश 'तिरहुत'। पूंन. वर्ष-विशेष, आदि । देखो विदंसण । महाविदेह-क्षेत्र । वि. विशिष्ट शरीरवाला । विदल न. वंश, बाँस। निर्लेप । पुं. अनंग । गृह-वास । निषध पर्वत विदल न [द्विदल] चना आदि वह शुष्क धान्य का एक कूट । नीलवंत पर्वत का एक कूट । जिसके दो टुकड़े समान होते हैं । वि. जिसके °जंबू स्त्री [°जम्बू] जम्बू वृक्ष-विशेष । दो टुकड़े किए गए हों वह । जच्च पुं [जार्च, °यात्य] भगवान् महाविदलिद (शौ) वि [विदलित] खण्डित, वीर । °दिन्ना स्त्री [°दत्ता] भगवान् महाचूर्णित । वीर की माता, रानी त्रिशला । °दुहिआ विदाअ देखो विद्दाय = विद्रुत । स्त्री [°दुहित] सीता। °पुत्त पुं [पुत्र] विदारग 1 वि [विदारक] विदारण-कर्ता। राजा कूणिक । विदारय ) विदेहदिन्न पुं [वैदेहदत्त] भगवान् महावीर । विदालण न [विदारण] विविध प्रकार से विदेहा स्त्री. भगवान् महावीर की माता। चीरना। त्रिशला देवी । जानकी । विदिअ देखो विइअ। विदेहि पुं [वैदेहिन्] विदेह देश का अधिपति, विदिण्ण देखो विइण्ण = वितीर्ण ।। तिरहुत का राजा। विदिण्ण वि [विदीर्ण] फाड़ा हुआ। विदेही स्त्री [विदेही] राजा जनक की पत्नी, विदित्ता । विद = विद् का संकृ.। सीता की माता। विदित्ताणं । विइंडिअ वि [दे] नाशित । विदिस (अप) स्त्री [विदिशा] एक नगरी। विद्दड्ढ पुं [विदग्ध] एक नरक-स्थान । विदिसा । स्त्री [विदिश] उपदिशा, कोण । विद्दव सक [वि + द्रावय] विनाश करना । विदिसी , विपरीत दिशा, असंयम । हैरान करना । दूर करना । झरना । विदु देखो विउ । विद्दव पुं [विद्रव] उपद्रव । विनाश । विदुगुंछा देखो विउच्छा। विद्दा अक [वि+द्रा] खराब होना। विदुग्ग न [विदुर्ग] समुदाय । विद्दाण वि [विद्राण] म्लान, निस्तेज । विदुर वि. धीर । नागर । पुं. कौरवों के एक प्रख्यात मन्त्री। विद्दाय वि [विद्रुत] विनष्ट । पलायित । द्रवविदुलतंग न [विद्युल्लताङ्ग] हाहाहूहू की चौरासी लाख गुनी संख्या । विद्दाय अक [विद्वस्य]खुद को विद्वान् मानना। विदुलता स्त्री [विद्युल्लता] विद्युल्लतांग की | विद्दार देखो विड्डार। चौरासी लाख गुनी संख्या। विद्दारण (अप) वि [विदारण] चीरनेवाला। विदुस देखो विदु। विदुम पुं [विद्रुम] प्रवाल । उत्तम वृक्ष । । युक्त। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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