SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 765
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७४६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष विदुय-विपडिसेह °भ पुं. नववें बलदेव के पूर्व-जन्म के गुरु । | विनिमय पुं [विनिमय व्यत्यय । विदुय वि [विद्रुत] अभिभूत । पीड़ित । विनियट्ट देखो विणिवट्ट। विदूणा स्त्री [दे] लज्जा, शरम । विनिरय वि [विनिरत] लीन, आसक्त । विद्देस पुं [विद्वेष] द्वेष । मत्सर। विनिहन्न सक [विनि+हन्] मार डालना । विद्देस वि [विद्वष्य] द्वेष्य-योग्य, अप्रिय । विनिहाय देखो विणिघाय। विद्देसण न [विद्वेषण] एक अभिचार-कर्म, विन्नप्प देखो विण्णव । जिससे परस्पर में शत्रुता होती है। विन्नवणा स्त्री [विज्ञापना] प्रार्थना, विनती । विद्देसिअ देखो विदेसिअ। महिला, नारी । देखो विण्णवणा। विदेसिअ वि [विद्वेषित] द्वेष-युक्त । विन्नविय वि [विज्ञापित] निवेदित । विद्ध सक [व्यध्] वींधना। विन्ना देखो विण्णा = वि + ज्ञा। विद्ध वि [विद्ध] वींधा हुआ। विन्ना देखो बिन्ना। यड न [°तट] एक विद्ध देखो वुड्ढ = वृद्ध । नगर का नाम । विद्धंस अक [वि + ध्वंस्] विनष्ट होना । | विन्नाउ वि [विज्ञातृ] जाननेवाला । विद्धंस सक [वि + ध्वंसय] विनष्ट करना। विन्नाण न [विज्ञान] सद्बोध, ज्ञान । कला, विद्धत्थ वि [विध्वस्त] विनष्ट । शिल्प। विद्धि स्त्री [वृद्धि] बढ़ती । समृद्धि । अभ्युदय । विनाणिय देखो विण्णाय । सम्पत्ति । अहिंसा । कलान्तर, सूद । व्याकरण- विन्नाविय देखो विन्नविय । प्रसिद्ध स्वर का विकार । ओषधि-विशेष ।। विन्नासिअ (अप) [विनाशित] विनाश प्राप्त । विधुण विद्ध = व्यध् का संकृ. । विणासिअ। विधम्म देखो विहम्म। विन्नेय देखो विना = वि +ज्ञा । विधम्मिय वि [विधर्मित] तिरस्कृत । विन्ह पुं [विष्ण] जैन मुनि, आर्य-जेहिल के विधवा देखो विहवा। शिष्य । देखो विण्हु । °पअ न [°पद] विधा अ [वृथा] मुधा, निरर्थक । आकाश । पदी स्त्री. गंगा नदी । विधाण देखो विहाण = विधान । विपंची स्त्री विपञ्ची] वाद्य-विशेष, वीणा । विधाय देखो विहाय = विधातृ । विपक्क वि [विपक्व] । देखो विवक्क । विधार सक [वि+धारय] निवारण करना । | विपक्ख देखो विवक्ख । विधि (शौ) देखो विहि। विपक्खिय वि [विपक्षिक] विरोधी, दुश्मन । विधुर वि. देखो विहुर। विपच्चइय न [विप्रत्ययिक] बारहवें जैन अंग विधुव (शौ) देखो विहुण = वि + धू ।। ग्रन्थ का सूत्र-विशेष । विधूण देखो विहुण = वि +धू । विपच्चमाण वि [विपच्यमान] जो पकाया विधूम पुं. अग्नि । जाता हो वह । जलता । विध्य वि [विधूत] क्षुण्ण, सम्यक् स्पृष्ट । देखो | विपज्जय देखो विवजय । विह। विपज्जास देखो विवजास। विनमि पुं भ० ऋषभदेव का पौत्र ।। विपडिवत्ति देखो विप्पडिवत्ति । विनिज्झा सक [विनि । ध्यै] देखना। | विपडिसेह सक [विप्रति+सिध्] निषेध विनिबद्ध वि [विनिबद्ध] सम्बद्ध, बंधा हुआ। करना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy