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________________ विउत्त-विएस संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७३१ विउत्त वि [वियुक्त] विरहित, वियोग-प्राप्त । विउस सक [ व्युत् + सृज् ] फेंकना। विउत्ता देखो विअत्त = वि + वर्तय का संकृ । विउस वि [विद्वस] विज्ञ । विउत्थिअ देखो विउट्ठिअ । | विउसग्ग देखो विओसग्ग । विउद देखो विउअ = विवृत । विउसमण न व्युपशमन, व्यवशमन विउद्ध वि [विबुद्ध] जागृत । विकसित । उपशम, उपक्षय । सुरत का अवसान । वि. विउप्पकड वि [व्युत्प्रकट] अति प्रकट । विनाशक । वि उब्भाअ अक [व्युद् + भ्राज् ] शोभना, विउसमणया स्त्री [व्यवशमना] उपशम, चमकना। क्रोध-परित्याग। विउब्भाअ [ व्युद् + भ्राजय ] शोभित विउसमिय देखो विओसमिय । विउसरण न [व्युत्सर्जन] परित्याग । करना। विउम वि [ विद्वस् ] विद्वान् । विउसरणया स्त्री [व्युत्सर्जना] । विउर देखो विदुर। विउसव देखो विओसव। विउल वि [विपुल] प्रभूत, प्रचुर । विस्तीर्ण । विउसवण देखो विउसमण । उत्तम । अगाध, गम्भीर । पुं. राजगिर के विउसविय देखो विओसविय।। समीप का एक पर्वत । °जस पुं [यशस् ] विउसिज्जा देखो विओसिज्जा। विउसिरणया देखो विउसरणया । एक जिनदेव । °मइ स्त्री [°मति] मनःपर्यव ज्ञान का एक भेद । वि. उक्त ज्ञानवाला । विउस्स सक [वि + उश्] विशेष बोलना । °अरी स्त्री [°करी] विद्या-विशेष । देखो विउस्स अक [विद्वस्य् ] विद्वान् की तरह विपुल। आचरण करना। विउव देखो विउव्व = वैक्रिय । विउस्सग्ग देखो विओसग्ग। विउवसिय देखो विओसिय = व्यवशमित । विउस्सित्त वि [व्युत्सित, व्युत्सिक्त] अभिविउवाय पुं [व्युत्पात] हिंसा, प्राणि-वध । निविष्ट, कदाग्रह-युक्त। विउव्व सक [वि + कृ,वि + कुर्व ] बनाना | विउस्सिय वि [व्युषित] विशेष रूप से रहा दिव्य सामर्थ्य से उत्पन्न करना। अलंकृत हुआ। करना। विउस्सिय वि [व्युच्छित] विविध तरह से विउव्व न [वैक्रिय] अनेक स्वरूपों और आश्रित । क्रियाओं को करने में समर्थ शरीर-विशेष । | विउह वि [विबुध] प्रेरणा करना । वैक्रिय शरीर की प्राप्ति का कारण-भूत | विउह वि [विबुध] पण्डित । पुं. देव । देखो कर्म-विशेष । वि. वैक्रिय शरीर से सम्बन्ध विबुह। रखनेवाला । विऊरिअ वि [दे] नष्ट । विउव्वणया) स्त्री [विक्रिया, विकूर्वणा] विऊसिर सक व्युत् + सृज्] परित्याग विउव्वणा ) शक्ति-विशेष से किया जाता करना। वस्तु-निर्माण । वैक्रिय-करण की शक्ति। विऊह पुं [व्यूह रचना-विशेष । विउव्वाढ वि [दे] विस्तीर्ण । दुःख-रहित । विएअ वि [वितेजस्] महान् प्रकाश । विउव्विा वि [वैक्रियिक] वैक्रिय शरीर से विएऊण अ [दे] चुनकर । सम्बन्ध रखनेवाला । देखो वेउन्वि। विएस पुं [विदेश] परदेश । खराब गांव । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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