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________________ ७३० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष विआह-विउण विशिष्ट प्रवाह । वि. विशिष्ट संतानवाला। हुआ। °पण्णत्ति स्त्री [प्रज्ञप्ति] पाँचवाँ जैन अंग- विउअ वि [वियुत] वियुक्त, रहित । ग्रन्थ । विउअ वि [विवृत] विस्तृत । व्याख्यात । विआह वि [विबाध] बाध-रहित । °पण्णत्ति विउअ (अप) देखो विओअ = वियोग । स्त्री [प्रज्ञप्ति] पाँचवाँ जैन अंग-ग्रन्थ । विउंचिआ स्त्री [दे. विचर्चिका] रोग-विशेष, विआह स्त्री [व्याख्या विशद् रूप से अर्थ पामा रोग का एक भेद । का प्रतिपादन । वृत्ति, विवरण । °पण्णत्ति विउंज सक [वि+युज् ] विशेष रूप से स्त्री [प्रज्ञप्ति] पांचवां जैन अंग-ग्रन्थ । । जोड़ना। विइ स्त्री [वृति] रज्जु-बन्धन । देखो वइ = विउक्कंति स्त्री [व्युत्क्रान्ति] उत्पत्ति । विउक्वंति स्त्री [व्युत्क्रान्ति, व्यवक्रान्ति] वृति । विइअ वि [विदित] ज्ञात । मरण । विइइन्न देखो विइकिण्ण । | विउक्कम सक [व्युत् + क्रम्] परित्याग करना । विइंचिअ वि [विविक्त] विनाशित । उल्लंघन करना । अक. च्युत होना, नष्ट होना, विइंत सक [वि + कृत् ] काटना, छेदना । मरना । उत्पन्न होना। विइंत देखो विचित। विउक्कस सक [व्युत्+कर्षय ] गर्व करना, विइकिण्ण वि [व्यतिकीर्ण] व्याप्त । बड़ाई करना। विइक्वंत वि [व्यतिक्रान्त] व्यतीत । विउच्छा देखो वि-उच्छा = विद्-जुगुप्सा । विइगिंछा । देखो वितिगिछा । विउच्छेअ पुं [व्यवच्छेद] विनाश । विइगिच्छा। विउज्जम अक [व्युद् + यम्] विशेष उद्यम विइगिट्ट वि [व्यतिकृष्ट] दुर-स्थित, विप्रकृष्ट । करना। विइगिण्ण देखो विइकिण्ण।। विउज्झ अक [वि+बुध् ] जागना । विइज्जत देखो वीअ = वीजय का कवकृ. । विउट्ट सक [वि + कुट्टय ] विच्छेद करना, विइज्जंत देखो विकिर का कवकृ. । विनाश करना। विइण्ण वि [विकीर्ण] बिखरा हआ । विक्षिप्त । विउट्ट सक [ वि + त्रोटय् ] तोड़ डालना। देखो विकिण्ण । विउट्ट अक [वि+वृत्] उत्पन्न होना । निवृत्त विइण्ण वि [वितीर्ण] दिया हुआ, अर्पित । होना। विइण्ह वि [वितृष्ण] तृष्णा-रहित, निःस्पृह । | विउट्ट सक [वि+वर्तय ] विच्छेद करना । विइत्त देखो विचित्त । अक. घूमकर जाना। विइत्त देखो विवित्त। विउट्ट देखो विअट्ट - विवृत्त । विइत्ता विअ = विद् का संकृ.। विउट्टण न [विकुट्टन] विच्छेद । आलोचना, विइत्ताणं अतिचार-विच्छेद। विइत्तिद (शौ) देखो विचित्तिय । विउट्टणा स्त्री [विकुट्टना] विविध कुट्टन । विइत्तु देखो विअ = विद् का संकृ. । पीड़ा, संताप । विइमिस्स वि [व्यतिमिश्र] मिश्रित । विउट्रिअ वि [व्युत्थित] विरोधी बना हुआ। विउ वि [विद् , विद्वस् ] विद्वान्, पण्डित । विउड सक [वि + नाशय ] विनाश करमा । °प्पकड स्त्री [प्रकृत] विद्वान् द्वारा किया ! विउण वि [विगुण] गुण-रहित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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