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________________ ७३२ बन्धन स्थान । विओअ पुं [वियोग ] जुदाई, बिछोह । वियोग देखो विओअ । विओज सक [वि + योजय् ] अलग करना । विओजय वि [वियोजक ] वियोग-कारक । विओदर पुं [वृकोदर] भीमसेन, एक पाण्डव । विओरमण न [ व्युपरमण ] विराधना | विनाश | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष विओल वि [दे] उद्वेग-युक्त । विओवाय पुं [ व्यवपात] भ्रंश नाश । विओसग्ग पुं [ व्युत्सर्ग] परित्याग । तपविशेष, निरीहपन से शरीर आदि का त्याग । विओसमण देखो विउसमण । हुआ । विओसरणया देखो विउसरणया । विओसव सक [ व्यव + शमय् ] उपशान्त करना | ठण्डा करना, दबा देना । विओसिज्जा अ [ व्युत्सृज्य ] परित्याग कर । विओसिय देखो विओसमिय । विओसिय वि [ व्यवसित] समाप्त किया हुआ । विओसिय वि[विकोशित ] कोश-रहित, निरावरण | विओसिर देखो विऊसिर । विओह पुं [विबोध ] जागरण, जागृति । विख न [ दे] वाद्य - विशेष । विचिणि वि [ ] विदारित । धारा । विचुअ पुं [वृश्चिक ] जन्तु - विशेष, बिच्छू । विछ अक [वि + घट् ] अलग होना । देखो विचुअ । विछिअ } विछुअ विजण देखो वंजण । विजण देखो विअण व्यजन । विझ पुं [विन्ध्य ] विन्ध्याचल पर्वत । व्याध, बहेलिया । एक जैन मुनि । एक श्रेष्ठि-पुत्र | विंट सक [वेष्टय् ] लपेटना । Jain Education International विओअ - विकत्थ } विट न [वृन्त ] फल- पत्र आदि का बन्धन । विटल न [दे] वशीकरण-विद्या । विलिअ निमित्त आदि का प्रयोग । विलिआ स्त्री [दे] पोटली । विटिया स्त्री [दे] पोटली । मुद्रिका । वितर पुं [ व्यन्तर] बिच्छू आदि दुष्ट जन्तु । देव-जाति । विदावण पुंन [वृन्दावन] मथुरा का एक वन । विओसमिय वि [ व्यवशमित ] उपशान्त किया विदुरिल्ल वि [दे] उज्ज्वल । मंजुल घोष वाला । म्लान | विस्तृत । विंद्र देखो वंद्र | विद्रावण देखो विदावण । 3 विती स्त्री [वृन्ताकी बैंगन का गाछ । विंद सक [विद्] जानना । प्राप्त करना । विद देखो वंद = वृन्द । विदारग विदारय देखो वंदारय । 'वर पुं० इन्द्र । विंध सक [व्यध्] बोंधना, छेदना, बेधना । विभय देखो विम्य = विस्मय | विभर देखो विम्हर | विभल वि[विहवल ] व्याकुल । विभिअ वि [ विस्मित ] आश्चर्य चकित । विभिr देखो विभिअ । विसदि (शौ) स्त्री [विंशति] बीस । विकंथ सक [वि + कत्थ्] प्रशंसा करना । विकंप अक [वि + कम्प्] हिल जाना । विकंप सक | वि + कम्पय् ] हिलाना, चलाना | छोड़ना । अपने मंडल से बाहर निकलना । भीतर प्रवेश करना । विकच वि [विकच ] विकसित । विकट्ट सक [वि + कृत् ] काटना । विकट्ठ देखो विट्ठ । विकड्ढ सक [ वि + कृष् ] खींचना । विकत देखो विकट्ट | विकत्तु वि [ विकरितृ] विक्षेपक, विनाशक । विकत्थ देखो विकंथ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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