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________________ ७२० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष वागुर पुं [वागुरा ] मृग-बन्धन, जाल, फन्दा । वागुरि वि [ वागुरिन्, 'रिक] देखो वारिय वारिय | वाघाइय वि [ व्याघातिक ] व्याघात से उत्पन्न । वाघाइम वि [ व्याघातिम] व्याघात से होनेवाला | न. सिंह, दावानल आदि से होने वाली मौत | वाघाय पुं [ व्याघात] स्खलना | विनाश | प्रतिबन्ध | सिंह, दावानल आदि से अभिभव । वाघारिय वि [ व्याधारित] प्रलम्ब, लम्बा | वाघुण्णिय वि [ व्याघूर्णित ] दोलायमान । वाघेल पुं [दे] एक क्षत्रिय वंश । वाच देखो वाय = वाचय् । वाचय देखो वायग = वाचक | वाज देखो वाय = व्याज । वाजि पुं [ वाजिन्] अश्व । वाणवाल पुं [दे] इन्द्र औषध | आयुर्वेद का एक अंग । वाजीकरण न [ वाजीकरण] वीर्य वर्धक वाणहा देखो पाणहा, वाहणा = उपानह 1 वाणा देखो वायणा = वाचना । 'यरिअ पुं [चार्य ] अध्यापन करनेवाला शिक्षक । वाणारसी स्त्री [वाराणसी ] प्राचीन नगरी, 'बनारस' । वाड पुं [बाट] बाड । बाडवाली जगह । वृति आदि से परिवेष्टित गृह-समूह, रथ्या । वाडंतरा स्त्री [दे] कुटीर, झोपड़ा या झोपड़ी । 'वाडण देखो पाडण । वाडव पुं. वडवानल | वाडम पुं [दे] पशु - विशेष, गण्डक, गेंड़ा । वाडिल्ल पुं [दे] कृमि, कीट | वाडी स्त्री [दे] बाड़ । वाडी स्त्री [वाटी] बगीचा ! वाढि पुं [दे] वणिक् सहाय, वैश्य - मित्र । वाण सक [वि + नम् ] नत होना । वागुर-वाणीर तापस, तृतीय आश्रम में स्थित पुरुष | 'मंत, 'मंतर, 'वंतर पुंस्त्री [व्यन्तर ] देवों की एक जाति । स्त्री. 'री । 'वासिआ स्त्री [वासिका ] छन्द - विशेष । ' वाण देखो पाण = पान । 'वत्त न [ ° पात्र ] पीने का प्याला । वाणय पुं [ दे] कंकण बनानेवाला शिल्पी । वाणर पुंन [वानर] बन्दर । विद्याधर मनुष्यों का वंश | वानर - वंश में उत्पन्न मनुष्य । उरी स्त्री [°पुरी] किष्किन्धा नामक नगरी | ° केउ पुं [° केतु] वानर-वंश का कोई भी राजा । 'दीव पुं [ द्वीप ] एक द्वीप | वाडहाणग पुंन [वाटधानक] एक छोटा वाणि स्त्री देखो वाणी । गाँव | वि. उस गाँव का निवासी । वाडि° देखो वाडी = वाटी । वाडआ स्त्री [वाटिका ] बगीचा | वाण वि [वान] वन में उत्पन्न, वन सम्बन्धी 'पत्थ, पत्थपुं [ प्रस्थ ] वनवासी Jain Education International द्वय पुं [ध्वज ] हनूमान । 'वइ पुं[ पति ] सुग्रीव, रामचन्द्र का एक सेनापति । वारद पुं [ वानरेन्द्र ] वानर-वंशीय पुरुषों का राजा, वाली । वाणि देखो वणि= वणिज् । उत्त, पुत्त पुं [° पुत्र] वैश्य कुमार | वाणिअं [ वाणिज] बनिया । एक गाँव | वाणि (अप) देखो वाणिज्ज । 'वाणि देखो पाणिअ = पानीय । वाणिज्जन [ वाणिज्य ] व्यापार । एक जैन मुनि - कुल | वाणिज्जा स्त्री [ वणिज्या] व्यापार । वाणिज्जिय वि [वाणिजिक] व्यापारी । वाणी स्त्री. वचन, वाक्य । वाग्देवता, सरस्वती देवी । छन्द - विशेष । 'वाणी देखो पाणीअ । वाणीर पुं [दे] जम्बू वृक्ष । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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