SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 740
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वाणीर-वाय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ७२१ वाणीर पुं [वानीर] वेतस-वृक्ष । वामा स्त्री. पाश्र्वनाथ को माता । वाणुजुअ पुं[दे] वणिक् । वामिस्स देखो वामीस। वात देखो वाय % वात । वामी स्त्री [दे] स्त्री। वातिक । देखो वाइअ = वातिक । वामीस वि व्यामिश्र] मिश्रित, युक्त। वातिय ) वामीसिय वि [व्यामिश्रित] । वाद देखो वाय = वाद । वामुत्तय वि [व्यामुक्तक] परिहित । प्रलवादि देखो वाइ- वादिन् । म्बित। वापंफ देखो वावंफ। वामूढ वि [व्यामूढ] विमूढ़, भ्रान्त । वापिद (शो) देखो वावड व्याप्त । वामोह पुं [व्यामोह] मूढ़ता, भ्रान्ति । वाबाहा स्त्री [व्याबाधा] विशेष पीड़ा। वामोहण वि [व्यामोहन] भ्रान्ति-जनक । वाम सक [वमय्] वमन कराना । वाय सक [वाचय] पढ़ना । पढ़ाना । वाम वि [दे] मृत । आक्रान्त । वाय अक [वा] बहना, गति करना, चलना। वाम वि. सव्य, बाँया। प्रतिकूल । सुन्दर । | वाय अक [वै, म्लै] सूखना। न. सव्य पक्ष । बाँया शरीर । 'लोअणा | वाय सक [वादय] बजाना । स्त्री [°लोचना] सुन्दर नेत्रवाली स्त्री। | वाय वि [वान] शुष्क, म्लान । °लोकवादि,°लोगवादि पुं [°लोकवादिन्] | वाय पुं दे] वनस्पति-विशेष । न. गन्ध । जगत् को असत् माननेवाला दार्शनिक । वाय पुं [वात] समूह, संघ । वट्ट वि [°वर्त] । वित्त वि [वर्त] वाय वि [व्यातृ] संवरण करनेवाला । प्रतिकूल आचरण करनेवाला। | वाय वि [व्यागस्] प्रकृष्ट अपराधी । वाम [व्याम] परिमाण-विशेष, नीचे फैलाए | वाय पुं [वात] पवन । जुलाहा । हुए दोनों हाथों के बीच का अन्तराल । वाय वि [व्याप] प्रकृष्ट विस्तारवाला। वामण पुन [वामन] संस्थान-विशेष, जिसमें वाय पुं [वाक] ऋग्वेद आदि वाक्य । हाथ, पैर आदि अवयव छोटे हों और छाती, वाय पुं [व्याय] गति, चाल । पक्षी का पेट आदि पूर्ण या उन्नत हों। वि. उक्त आगमन । विशिष्ट लाभ । आकार के शरीरवाला, ह्रस्व । स्त्री. °णी। वाय पुं [व्याच] ठगाई। पं. श्रीकृष्ण का एक अवतार । एक यक्ष- वाय पंवाज] पंख । ऋषि । आवाज.| वेग । देवता । न. जिसके उदय से वामन शरीर की न. घी । पानी । यज्ञ का धान्य । प्राप्ति हो वह कर्म । °थली स्त्री [°स्थलो] वाय न [वाच] शुक-समूह । देश-विशेष । वाय वि [वाज्] फेंकनेवाला । नाशक । वामणिअ वि [दे] नष्ट वस्तु-पलायित को वाय पुं व्याज] कपट, माया। बहाना, छल । फिर से ग्रहण करनेवाला। विशिष्ट गति । वामणिआ स्त्री [दे] दीर्घ काष्ठ की बाड। वाय देखो वाग = वल्क । वामद्दण न [व्यामर्दन] एक व्यायाम, हाथ | वाय पुं [वाय शादी। आदि अंगों का एक दूसरे से मोड़ना । वाय पुं [व्यात] विशिष्ट गमन । वामरि पुं [दे] सिंह। वाय पुं वाप] बोना । खेत । वामलूर पुं. वल्मीक, दीमक । वाय पुं. गमन, गति । सूंघना । जानना। ९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy