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________________ ५७४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पाय-पारंपर °पाय पुं. ब. [°पाद] पूज्य । पायस पुंन. दूध का मिष्टान्न, खीर। पायए पा = पा का हेकृ. । पायार पुं प्राकार] कोट । पायं° देखो पाय। पायाल न [पाताल] रसा तल, अघी भुवन । पायं अ{ प्रातस् ] प्रभात । °कलश पुं. समुद्र के मध्य में स्थित कलशाकार पायंगुटु पुं [पादाङ्गष्ठ] पैर का अंगूठा ।। वस्तु । °पुर न. नगर-विशेष । °मंदिर न पायंजलि पुं [पातञ्जल] पातञ्जल योग सूत्र । | [°मन्दिर] । हर न [°गृह] पाताल-स्थित पायंत न [पादान्त] गीत का एक भेद, पाद- गृह । वृद्धगीत । पायाल न [पाददल] पादात्य, पैदल सैन्य । पायंदुय पुं [पादान्दुक] पैर बाँधने का काष्ठ- | पायालंकारपुर न [पाताललङ्कापुर] पातालमय उपकरण । लंका, रावण की राजधानी। पायक देखो पायय = पातक । पायावच्च न [प्राजापत्य] अहोरात्र का पायक्क देखो पाइक्क। चौदहवाँ मुहूर्त । पायक्खिण्ण न [प्रादक्षिण्य] प्रदक्षिणा। | पायाविय वि [पायित] पिलाया हुआ। पायग न [पातक] पाप। पायाहिण न [प्रादक्षिण्य] वेष्टन, दक्षिण की पायच्छित्त पुन [प्रायश्चित्त] पाप-नाशन ओर। कर्म। पायाहिणा देखो पयाहिणा । पायड देखो पागड प्र+कटय । पार अक [शक्] करने में समर्थ होना । पायड न [दे] आँगन । पार सक [पारय] पार पहुँचना । पायड देखो पागड -प्रकट । पार पुंन [पार] तट, पर्ला, किनारा । परलोक, पायड देखो पागड = प्राकृत । आगामी जन्म । मनुष्य-लोकभिन्न नरक आदि । पायड वि [प्रावृत] आच्छादित । मोक्ष । "ग वि. पार जानेवाला । °गय वि पायण न [पायन] पिलाना, पान कराना। [गत] पार-प्राप्त । पुं. जिन-देव, भगवान् पायत्त न [पादात] पदाति-समूह । °ाणिय न अर्हन् । 'गामि वि [ गामिन् ] पार [°ानीक] पदाति सैन्य । पहुँचनेवाला ।"पाणग न[°पानक] पेय द्रव्य । पायपुंछण न [पादपुञ्छन] सकोरा । °विउ वि [विद्] पार को जाननेवाला। पायप्पहण पुं [दे] कुक्कुट । °भोय वि [°Tभोग] पार-प्रापक । पायय न [पातक] पाप । | पार देखो पायार। पायय देखो पाव-पाप । पारंक न [दे] मदिरा नापने का पात्र । पायय देखो पागय । पारंगम वि [पारगम] पार जानेवाला । पायय देखो पायव । पारंगय वि [पारंगत] पार-प्राप्त । पायय देखो पावय = पावक । पारंचि । वि [पाराञ्चि] । न [पाराञ्चिक] पायय देखो पाय = पाद । पारंचिय) सर्वोत्कृष्ट प्रायश्चित्त, तप-विशेष पायरास पुं [प्रातराश ] प्रातःकाल का से अतिचारों की पारप्राप्ति । वि. सर्वोत्कृष्ट भोजन। प्रायश्चित्त करनेवाला । पायल न [दे] आँख । पारंपज्ज । न [पारम्पर्य] परम्परा । पायव पं [पादप] वृक्ष । पारंपर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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