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________________ पात-पाय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ५७३ पात! देखो पाय = पात्र । 'बंधण न तप । छ: अंगुलों का एक नाप । 'कंचणिया पाद ) [°बन्धन] पात्र बाँधने का वस्त्र-खण्ड, स्त्री [ काञ्चनिका] पैर प्रक्षालन का एक जैनमुनि का एक उपकरण । सुवर्ण-पात्र । °कंबल पुंन [°कम्बल] पैर पाद देखो पाय = पाद । °सम वि. गेय- पोंछने का वस्त्रखण्ड । °कुक्कुड पुं[°कुक्कुट] विशेष । °ो?पय न [°ष्ठपद] बारहवें जैन | कुक्कुट-विशेष । °घाय पुं [°घात] चरणआगम-ग्रन्थ का एक प्रतिपाद्य विषय । प्रहार । °चार . पैर से गमन । [°जाल] पादव देखो पायव । न [°जाल] पैर का आभूषण-विशेष । °त्ताण पादु देखो पाउं - प्रादुस् । न [°त्राण] जूता । °पलंब पुं [प्रलम्ब] पादो देखो पाओ = प्रातस् । पैर तक लटकनेवाला एक आभूषण । °पीढ पादोसिय वि [प्रादोषिक] प्रदोष-काल का। देखो °वीढ । पुंछण न [प्रोञ्छन] रजीपाधन्न देखो पाहण्ण ।। हरण, जैन साधु का एक उपकरण । °प्पडण पाधार सक [पाद + धारय् ] पधारना । न [°पतन] प्रणाम-विशेष । 'मूल न. देखो पाबद्ध वि [प्राबद्ध] विशेष बँधा हुआ । पामूल । मनुष्यों की एक साधारण जाति, पाभाइय । वि[प्राभातिक] प्रभात-सम्बन्धी । नर्तकों को एक जाति । °लेहणिआ स्त्री पाभातिय, ['लेखनिका] पैर पोंछने का जैन साधु का पाम सक [प्र + आप ] प्राप्त करना। एक काष्ठमय उपकरण । °वंदय वि[वन्दक] पामण्ण न [प्रामाण्य] प्रमाणता । पैर पर गिरकर प्रणाम करनेवाला । °वडण पामद्दा स्त्री [दे] दोनों पैर से धान्य-मर्दन । न [°पतन] प्रणाम-विशेष । 'वडिया स्त्री पामर पुं. खेती करनेवाला। हलकी जाति का | ['वृत्ति] पैर छूना, प्रणाम-विशेष । विहार पुं. पैर से गति । वीढ न [°पीठ] पैर रखने मनुष्य । मुर्ख, अज्ञानी। का आसन । °सीसग न [ शीर्षक] पर के पामा स्त्री. खुजली । ऊपर का भाग । उलअ न [°कुलक] पामाड पुं [पद्माट] पमाड़, पमार, पवाड, छन्द विशेष । चकवड़ वृक्ष । पामिच्च न [दे. अपमित्य] उधार लेना। पाय देखो पत्त = पात्र । केसरिआ स्त्री पामुक्त वि [प्रमुक्त] परित्यक्त । [ केसरिका] जैन साधुओं का एक उपकरण, पामूल न [पादमूल] पैर का मूल भाग। पात्रप्रमार्जन का कपड़ा । 'ट्ठवण, °ठवण न पामोक्ख देखो पमुह = प्रमुख । [स्थापन] जैन मुनियों का एक उपकरण, पामोक्ख पुं [प्रमोक्ष] मुक्ति । पात्र रखने का वस्त्र-खण्ड । °णिज्जोग, पाय पुं [दे] रथ का पहिया । साँप । °निज्जोग पुं ["निर्योग] जैन साधु का यह पाय पुं [पाक] पाचन-क्रिया । रसोई । उपकरण-समूह-पात्र, पात्रबन्ध, पात्रपाय वि [पाक्य] पाक-योग्य । स्थापन, पात्रकेशरिका, पटल, रजस्त्राण और पाय देखो पाव । गुच्छक । °पडिमा स्त्री [ प्रतिमा] पात्रपाय पुं [पात] पतन । सम्बन्ध । सम्बन्धी अभिग्रह-प्रतिज्ञा-विशेष । देखो पाय पुं. पान, पीने की क्रिया । पाद = पात्र । पाय पुं[पाद]गमन, गति । पैर । पद्य का चौथा | पाय (अप) देखो पत्त-प्राप्त । हिस्सा । किरण । पर्वत का कटक । एकाशन | पाय अ [प्रायस्] प्रायः, बहुत करके । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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