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________________ ५१५ पडिगय-पडिच्छिा संक्षिप्त प्रोकृत-हिन्दी कोष पडिगय पुं[प्रतिगज] प्रतिपक्षी हाथी। पडिचरणा देखो पडिअरणा। पडिगय पुं [प्रतिगत] पीछे लौटा हुआ। पडिचार पुं [प्रतिचार] कला-विशेष । ग्रह पडिगह देखो पडिग्गह। | आदि की गति का परिज्ञान । रोगी की सेवापडिगाह सक [प्रति + ग्रह ] ग्रहण करना, शुश्रूषा का ज्ञान ।। स्वीकार करना। पडिचारय पुंस्त्री [प्रतिचारक] नौकर । पडिगाहग वि [प्रतिग्राहक] ग्रहण करने- पडिचोइय वि [प्रतिचोदित] प्रेरित । प्रतिवाला। भणित, जिसको उत्तर दिया गया हो वह । पडिग्गह पुं [पतद्ग्रह, प्रतिग्रह] पात्र, पडिचोएत्तु वि [प्रतिचोदयित] प्रेरक । भाजन । वह प्रकृति जिसमें दूसरी प्रकृति का प्रतिचोय सक [प्रति + चोदय] प्रेरणा कर्म-दल परिणत होता है। धारि वि करना । [ धारिन्] पात्र रखनेवाला। पडिचोयणा स्त्री [प्रतिचोदना] प्रेरणा । पडिग्गहिअ वि [प्रतिग्रहिन्, पतद्ग्रहिन्] निर्भर्त्सना, निष्ठुरता से प्रेरणा । पात्रवाला। पडिच्चारग देखो पडिचारय । पडिग्गहिद (शौ) वि [प्रतिगृहित्, परिगृहीत] पडिच्छ देखो पडिक्ख । स्वीकृत । पडिच्छ सक [प्रति + इष्] ग्रहण करना । पडिग्गाह देखो पडिगाह। | पडिच्छंद पुंन [प्रतिच्छन्द] मूत्ति, प्रतिबिम्ब । पडिग्गाह सक [प्रति + ग्राहय्] ग्रहण तुल्य, सम तुल्य, समान । कय वि [ीकृत] समान कराना। किया हुआ। पडिग्गाहय वि [प्रतिग्राहक] वापस लेने पडिच्छंद पुं [दे] मुख । पडिच्छग वि [प्रत्येषक] ग्रहण करनेवाला। वाला। पडिग्धाय पुं [प्रतिघात] निरोध, अटकाव । पडिच्छण न [प्रतीक्षण] प्रतीक्षा, बाट । विनाश । पडिच्छण न [प्रत्येषण] आदान । उत्सारण, पडिघाय पुं [प्रतिघात] नाश, विनाश । विनिवारण । निराकरण, निरसन । पडिच्छण्ण वि [प्रतिच्छन्न] आच्छादित, ढका पडिघायग वि [प्रतिघातक] प्रतिघात करने- हुआ। वाला । पडिच्छय पुं [दे] समय, काल । पडिघोलिर वि [प्रतिपूणित] डोलनेवाला, | पडिच्छय देखो पडिच्छग। हिलनेवाला। पडिच्छयण न [प्रतिच्छदन] देखो पडिपडिचंत पुं [प्रतिचन्द्र ] द्वितीय चन्द्र जो च्छायण । उत्पात आदि का सूचक है। पडिच्छा स्त्री [प्रतीच्छा] ग्रहण, अंगीकार । पडिचक्क न [प्रतिचक्र] अनुरूप चक्र-समु- पडिच्छायण न [प्रतिच्छादन] आच्छादनदाय । देखो पडियक्क-प्रतिचक्र । वस्त्र । आच्छादन, आवरण । पडिचर देखो पडिअर = प्रति = चर्। पडिच्छाया स्त्री [प्रतिच्छाया] परछाई । पडिचर सक [प्रति + चर् ] परिभ्रमण | पडिच्छिअ वि [प्रतीष्ट, प्रतीप्सित] गृहीत, करना। स्वीकृत । विशेष रूप से वाञ्छित । पडिचरग पं [प्रतिचरक जासूस । । पडिच्छिआ स्त्री [दे] प्रतिहारी । चिरकाल से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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