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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष पडिकाउं-पडिगमण पडिकाउं ) पडिअर - प्रति + कृ के मिथ्या-दुष्कृत-प्रदान किए हुए पाप का पडिकाऊण | कृदन्त । पश्चात्ताप । जैन साधु और गृहस्थों का सुबह पडिकामणा देखो पडिक्कामणा। और शाम को करने का एक आवश्यक पडिकाय पुं [प्रतिकाय] प्रतिबिम्ब, प्रतिमा । | अनुष्ठान । पडिकिदि स्त्री [प्रतिकृति] इलाज । बदला । पडिक्कमय वि [प्रतिक्रामक] प्रतिक्रमण प्रतिबिम्ब, मूत्ति । करनेवाला। पडिकिय न [प्रतिकृत] ऊपर देखो। पडिक्कमिउं देखो पडिक्कम । °काम वि. पडिकिरिया स्त्री [प्रतिक्रिया] प्रतीकार, प्रतिक्रमण करने की इच्छावाला । बदला। पडिक्कय पुं [दे] प्रतिक्रिया, प्रतीकार । पडिकुट्ठ । वि [प्रतिक्रुष्ट] निषिद्ध । पडिक्कामणा स्त्री [प्रतिक्रमणा] देखो पडिकुट्ठिल्लग प्रतिकूल । पडिक्कमण। पडिक्कूल देखो पडिकूल। पडिकुटेल्लग देखो पडिकुटिल्लग। | पडिक्ख सक [प्रति + ईक्ष्] प्रतीक्षा करना । पडिकूड देखो पडिकूल = प्रतिकूल । अक. स्थिति करना। पडिकूल सक [ प्रतिकूलय ] प्रतिकूल आच- | पडिक्खअ वि [प्रतीक्षक] बाट जोहनेवाला। रण करना। पडिक्खंभ पुं [प्रतिस्तम्भ] आगल । पडिकूल वि [प्रतिकूल] विपरीत । अनभिमत । | पडिक्खण न [प्रतीक्षण] प्रतीक्षा । विपक्ष । पडिक्खर वि [दे] क्रूर । प्रतिकूल । पडिकवग प्रतिकपक] कप के समीप का | पडिक्खल अक [प्रति + स्खल्] हटना । छोटा कूप । गिरना । रुकना । सक. रोकना। पडिकेसव पुं[प्रतिकेशव वासुदेव का प्रति- पडिक्खलण न [प्रतिस्खलन] पतन । पक्षी राजा, प्रतिवासुदेव । अवरोध । पडिकोस सक [प्रति + क्रुश् ] आक्रोश | पडिक्खलिअ वि [प्रतिस्खलित] परावृत्त, करना, कोसना, शाप या गाली देना। पीछे हटा हुआ । रुका हुआ । देखो पडिपडिकोह पुं [प्रतिक्रोध] गुस्सा । खलिअ । पडिक्क न [प्रत्येक] हर एक । पडिक्खाविअ वि [प्रतीक्षित] स्थापित । पडिक्कंत वि [प्रतिक्रान्त] पीछे हटा हुआ। पडिक्खित्त वि [परिक्षिप्त] विस्तारित । निवृत्त । पडिखंध न [दे] जल-वहन, जल भरने का पडिक्कम अक [प्रति + क्रम्] निवृत्त होना, _दृति आदि पात्र । पीछे हटना। पडिखंधी स्त्री [दे] ऊपर देखो। पडिक्कम पुं [प्रतिक्रम] देखो पडिक्कमण। | पडिखद्ध वि [दे] हत, मारा हुआ। पडिक्कमण न [प्रतिक्रमण] निवृत्ति, पडिखल देखो पडिक्खल। व्यावर्त्तन । प्रमाद-वश शुभ योग से गिर कर पडिखिज्ज अक [परि + खिद्] खिन्न होना, अशुभ योग को प्राप्त करने के बाद फिर से | क्लान्त होना। शुभ योग को प्राप्त करना । अशुभ व्यापार से पडिगमण न [प्रतिगमन] व्यावर्तन, पीछे निवृत्त होकर उत्तरोत्तर शुद्ध योग में वर्तन ।। लौटना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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