SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 440
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तणू-तप्पणाडुआलिआ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ४२१ तणू स्त्री [तनू] काया। ईषत्प्राग्भारा-नामक | तत्तो देखो तओ । °मुह वि ["मुख] जिसका पृथिवी । °अ वि [°ज] शरीर से उत्पन्न । __ मुंह उस तरफ हो वह । पुं. पुत्र । °अतरा स्त्री [°कतरा] | तत्तोहुत्त न [दे] तदाभिमुख, उसके सामने । ईषत्प्रारभारा-नामक पृथिवी, सिद्धशिला । रुह | तत्थ अ [तत्र] वहाँ, उसमें । भव वि पुन. रोम, बाल । [°भवत् पूज्य ऐसे आप । °य वि [°त्य] तणूइय देखो तणुइअ। वहाँ का रहनेवाला । तणेण (अप) अ. लिए, वास्ते । तत्थ वि [त्रस्त] डरा हुआ। तणेसि पुं [दे] तृण-राशि । तत्थ देखो तच्च = तथ्य । तण्णय पुं [तर्णक] बछड़ा । तत्थरि पुं [त्रस्तरि नय-विशेष । तण्णाय वि [दे] आर्द्र । तदा देखो तया = तदा। तण्हा स्त्री [तृष्णा] पिपासा । स्पृहा, वाञ्छा। तदीय वि [त्वदीय] तुम्हारा । °लु, °लुअ वि [°वत्] तृष्णावाला, प्यासा । तदो देखो तओ। तण्हाइअ वि [तृष्णित] तृषातुर । तद्दिअस । तत देखो तय = तत । तत्तिअसिअ न [दे] प्रतिदिन, अनुदिन । तत्त न [तत्त्व] सत्य-स्वरूप, तथ्य, परमार्थ । तहिअह 'ओ अ ["तस्] वस्तुतः । °ण्णु वि [°ज्ञ] तद्दीअचय न [दे] नृत्य, नाच । तत्त्व का जानकार । तद्दोसि देखो त-द्दोसि = त्वग्दोषिन् । तत्त पुं [तप्त] तीसरी नरक-भूमि का एक तद्धिय पुं [द्धित] व्याकरण-प्रसिद्ध-प्रत्ययनरक-स्थान । प्रथम नरक-भमि का एक विशेष । तद्धित प्रत्यय की प्राप्ति का कारणनरक स्थान । वि. गरम किया हुआ। जला भूत अर्थ। स्त्री. नदी-विशेष । तधा देखो तहा। तत्त अ [तत्र] वहाँ । °भव, होंत वि तप देखो तव = तपस् । [°भवत्] पूज्य ऐसे आप। तप्प सक [तप्] तप करना । अक. गरम तत्तट्ठसुत्त न [तत्त्वार्थसूत्र] एक प्रसिद्ध जैन होना। दर्शन-ग्रन्थ । तप्प सक [ तपय ] तृप्त करना। तत्तडिअ न [दे] रंगा हुआ कपड़ा। तप्प न [तल्प] शय्या। °अ वि [ग] सोने तत्ति स्त्री [तृप्ति] सन्तोष । 'ल्ल वि [°मत्] वाला। तृप्त । तप्प पुन [तप्र] छोटी नौका। नदी में दूर से तत्ति स्त्री [दे] आदेश, हुकुम । तत्परता। बहकर आता हुआ काष्ठ समूह । चिन्ता-विचार । वार्ता, बात । कार्य-प्रयोजन। तप्पक्खिअ वि [तत्पाक्षिक] उस पक्ष का । तत्तिय वि तावत्] उतना । तप्पज्ज न [तात्पर्य] मतलब । तत्तिल । वि [दे] तत्पर । तप्पण न [तर्पण] सत्तू । स्त्रीन. तृप्ति-करण, तत्तिल्ल ) प्रीणन । स्निग्ध वस्तु से शरीर की मालिश । तत्तु (अप) देखो तत्थ - तत्र । तप्पणग न [दे] जैन-साधु का पात्र-विशेष, तत्तु डिल्ल न [दे] सम्भोग । तरपणी। तत्तरिअ वि [दे] रञ्जित । तप्पणाडुआलिआ स्त्री [दे] सक्तुमिश्रित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy