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________________ णिरुदाइ-णिरोणाम संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ४०१ आलसी। नहीं माननेवाला, प्रत्युपकार नहीं करनेवाला । णिरुट्टाइ वि [निरुत्थायिन्] नहीं उठनेवाला। णिरुवग्गह वि [निरुपग्रह] उपकार नहीं निरुत्त वि[निरुक्त] कथित । न निश्चित उक्ति । करनेवाला। व्युत्पत्ति । वेदाङ्ग शास्त्र-विशेष जिसमें वैदिक | णिरुवट्ठाणि वि [निरुपस्थानिन्] निरुद्यमी, शब्दों की व्याख्या है। अकथित, दृष्टान्त । आलसी। व्युत्पत्ति-युक्त। णिरुवद्दव वि [निरुपद्रव] उपद्रव-रहित, णिरुत्त वि [दे] निश्चित । चिन्ता-रहित । आबाधा-वर्जित । णिरुत्तत्त वि [निरुत्तप्त ] विशेष ताप-युक्त, णिरुवम वि [निरुपम] असमान, असाधारण । सन्तप्त । णिरुवयरिय वि [निरुपचरित] वास्तविक, णिरुत्तम वि [निरुत्तम] अत्यन्त श्रेष्ठ । तथ्य । णिरुत्तर वि [निरुत्तर] उत्तर-रहित किया | णिरुवयार वि [निरुपकार] उपकार-रहित । हुआ, परास्त । णिरुवलेव वि [निरुपलेप] लेप-वर्जित,अलिप्त। णिरुत्ति स्त्री [निरुक्ति] व्युत्पत्ति । णिरुवसग्ग वि [निरुपसर्ग] उपद्रव-वजित । णिरुत्तिअ वि [नैरुक्तिक] व्युत्पत्ति के अनुसार पुं. मोक्ष । न. उपसर्ग का अभाव । जिसका अर्थ किया जाय वह शब्द । णिरुवहय वि [निरुपहत] उपघात-रहित, णिरुत्तिय न [नैरुत्तिक] निरुक्ति, व्युत्पत्ति । __ अक्षय । अप्रतिहत । णिरुदर वि [निरुदर] छोटा पेटवाला, णिरुवहि वि [निरुपधि] माया-रहित, अनुदर। निष्कपट । णिरुद्ध वि [निरुद्ध] रोका हुआ। आवृत, णिरुवार सफ [ ग्रह ] ग्रहण करना । आच्छादित । पुं. मत्स्य की एक जाति । णिरुवालंभ वि [निरुपालम्भ] उपालम्भशून्य । णिरुद्ध वि [निरुद्ध] थोड़ा, संक्षिप्त । णिरुबिग्ग वि [निरुद्विग्न] उद्वेग-रहित । णिरुद्धव्व । देखो णिरुंभ का कवक.।। णिरुस्साह वि [निरुत्साह] उत्साह-हीन । णिरुब्भंत । णिरूव सक [नि + रूपय] विचार कर कहना। णिरुलि पुंस्त्री [दे] कुम्भीर–नक्र की आकृति विवेचन करना । देखना । दिखलाना । तलाश वाला एक जन्तु । करना। णिरुवकिट्ट देखो णिरुवक्किट्ठ । णिरूवण न [निरूपण] विलोकन, निरीक्षण । णिरुवक्कम वि [निरुपक्रम] जो कम न किया वि. दिखलानेवाला। जा सके वह (आयुष्य) । विघ्नरहित, अबाध । णिरूवणया स्त्री [निरूपणा] निरूपण । णिरुवक्कय वि [दे] अकृत, नहीं किया हुआ। णिरूवाविअ वि [निरूपित] जिस की खोज णिरुवक्किट्ठ वि [निरुपल्किष्ट] क्लेश-वजित, | कराई गई हो वह । दुःखरहित । णिरूसुअ वि [निरुत्सुक] उत्कण्ठा-रहित । णिरुवक्केस वि [निरुपक्लेश] शोक आदि | णिरूह पुं [निरूह] अनुवासना-विशेष, एक क्लेशों से रहित । तरह का विरेचन । णिरुवक्ख वि [निरुपाय] अनिर्वचनीय । णिरेय वि [निरेजस्] निष्कम्प, स्थिर । णिरुवग वि [निरुपक] प्रतिपादक । णिरेयण वि [निरेजन] निश्चल, स्थिर । णिरुवगारि वि [निरुपकारिन्] उपकार को णिरोणाम पुं [निरवनाम] नम्रता-रहित, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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