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________________ णिरोय- णिवड पिल्लुंछ सक [मुच् ] छोड़ना, त्याग करना । पिल्लुत्त वि [निर्लप्त ] विनाशित । पिल्लूर सक [छिद्] छेदन करना, काटना । गर्वित, उद्धत । णिय वि [नीरोग] रोग-रहित । णिरोव पुं [दे] आदेश, आज्ञा, रुक्का । णिरोवयार वि [निरुपकार] उपकार को णिल्लेव वि [निर्लेप ] लेप-रहित । णिल्लेवग पुं [निर्लेपक] धोबी । पिल्लेवण न [ निर्लेपन] मल को दूर करना । वि. निर्लेप, लेप - रहित । काल पुं. वह काल जिस समय नरक में एक भी नारक जीव न हो । पिल्लेविअ वि [निर्लेपित] लेप-रहित किया हुआ । बिलकुल खूट गया हुआ । पिल्लेहण न [ निर्लेखन] उद्वर्त्तन, पोंछना | वि [निर्लोभ ] लोभ-रहित । णिल्लोभ } णिल्लोह ४०२ नहीं माननेवाला । णिरोविअ देखो णिरूविअ । गिरोह पुं [निरोध] रुकावट, रोकना । गिरोहग वि [निरोधक ] रोकनेवाला । लिंक पुं [दे] पीकदान | गिलय पुं [ निलय ] घर, स्थान, आश्रय । लियण न [निलयन] वसति, स्थान । णिलाड न [ ललाट ] भाल | णिलिअ देखो णिलीअ । णिलिज्ज णिलीअ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष सक [नी + ली] आश्लेष करना | दूर करना । अक. } छिप जाना । णिलीइर वि [निले] आश्लेष करनेवाला । णिलुक्क देखो णिलीअ । णिलुक्क सक[तुड् ] तोड़ना । णिलुक्क वि [ दे. निलीन ] निलीन, प्रच्छन्न, तिरोहित । लीन, आसक्त । णिलुक्कण न [निलयन ] छिपना । णिल्लंक [दे] देखो णिलंक | Jain Education International raj [ नृप] राजा | aणय वि [° सम्बन्धिन् ] राजसम्बन्धी, राजकीय | णिवइ पुं [ नृपति] ऊपर देखो । 'मग्ग पुं [° मागं] राजमार्ग, जाहिर रास्ता । णिवइअ वि [निपतित] नीचे गिरा हुआ । एक प्रकार का विष । विइत्तु वि [निपतितृ] नीचे गिरनेवाला । णिवच्छण न [ दे] अवतारण, उतारना । णिवज्ज अक [ निर् + पन्] निष्पन्न होना, नीपजना, बनना । पिल्लंछण न [निर्लाञ्छन] शरीर के किसी अवयव का छेदन | विज्ज अक [नि + सद्] बैठना । णिवज्ज अक [नि + सद्] सोना । पिल्लच्छ देखो गेल्लच्छ । पिल्लच्छण वि [निर्लक्षण] मूर्ख, बेवकूफ । विट्ट सक [नि + वर्तय् ] निवृत्त करना । णिवट्ट अक [नि + वृत्] निवृत्त होना, लौटना, अपलक्षणवाला, खराब । हटना | रुकना । णिल्लज्ज वि [निर्लज्ज ] लज्जा-रहित । णिल्लज्जिम पुंस्त्री [निर्लज्जमन्] निर्लज्ज - णिवट्ट वि [निवृत्त] निवृत्त, हटा हुआ, प्रवृत्ति - विमुख | न. निवृत्ति । पन, बेशरमी । णिल्लस अक [उत् + लस् ] उल्लसना, निवट्टण न [ निवर्तन] निवृत्ति, प्रवृत्ति निरोध | विकसना | जहाँ रास्ता बन्द होता हो वह स्थान । लिसिअ वि [] निर्गत, निःसृत, नियत । णिवट्टिम वि [निर्वर्तित] पका हुआ, फलित, जिल्लालिअ वि [निललित ] निःसारित । सिद्ध । गिल्लिह सक [ निर् + लिख् ] घिसना । णिवड अक [नि + पत्] नीचे पड़ना, नीचे For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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