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________________ अच्छिज्ज-अजिअ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष २३ पोशाक। वेणी । मृगया । अच्छिज्ज वि [आच्छेद्य] जबरदस्ती जो दूसरे | अच्छोडाविय वि [दे. आच्छोटित] बंधित । से छीन लिया जाय। पुजैन साधु के लिए आच्छोडिअ वि [दे आकृष्ट । भिक्षा का एक दोष । अछिप्प वि [अस्पृश्य] स्पर्श करने के अयोग्य । अच्छिज्ज वि [अच्छेद्य] जो तोड़ा न जा अज देखो अय = अज । सके। अजगर देखो अयगर। अच्छित्ति स्त्री नित्यता । वि. नाश-रहित । अजड पु[दे] जार। °णय पु["नय वस्तु को नित्य माननेवाला अजड वि पक्व, विकसित । निपुण । पक्ष। अजम वि [दे] सरल । जमाईन । अजय वि [अयत] पाप-कर्म से अविरत, अच्छिद्द वि [अच्छिद्र] छिद्र-रहित, निबिड । नियम-रहित । अनुद्योगी। उपयोग-शून्य, निर्दोष । बेख्याल। अच्छिण्ण वि [आच्छिन्न] बलात्कार से छीना अजय पु षट्पद छंद का एक भेद । हुआ । छेदा हुआ, तोड़ा हुआ । अजर वि वृद्धावस्था-रहित । पुदेव । मुक्त अच्छिण्ण वि [अच्छिन्न] नहीं तोड़ा हुआ। आत्मा । अन्तर-रहित। अजराउर वि [दे] गरम । अच्छिप्प वि [अस्पृश्य] छूने के अयोग्य । अजरामर वि बुढ़ापा और मृत्यु से रहित । अच्छिवडण न [दे] आँख का मूंदना । न. मुक्ति । स्त्री. "रा विद्या-विशेष । अच्छिविअच्छि स्त्री [दे] परस्पर-आकर्षण । अजस पु [अयशस् | अपयश । 'कित्तिणाम अच्छिहरिल्ल । देखो अच्छिघरुल्ल । न [ कीर्तिनामन्] अपकीत्ति का कारण-भूत अच्छिहरुल्ल । एक कर्म। अच्छी देखो अच्छि अजस्स क्रिवि [अजस्र] निरन्तर, हमेशा । अच्छुक्क न [दे] आँख का कोटर । अजा देखो अया। अच्छुत्ता स्त्री [अच्छुप्ता] एक विद्याधिष्ठात्री अजाय वि [अजात] अनुत्पन्न । कप्प पु देवी । भगवान् मुनिसुव्रत स्वामी की शासन कल्प] शास्त्रों को पूरा-पूरा नहीं जाननेदेवी। वाला जैन साधु, अगीतार्थ । कप्पिय पु अच्छुद्धसिरी स्त्री [दे] असंभावित लाभ ।। [°कल्पिक] अगीतार्थ जैन साधु । अच्छुल्लूढ वि [दे] निष्कासित, स्थान-भ्रष्ट किया हुआ। अजिअ वि [अजित] अपराजित । पु दूसरे अच्छेज देखो अच्छिन्न । तीर्थंकर का नाम । नववें तीर्थंकर का अधिष्ठाता अच्छेर न [आश्चर्य] विस्मय, चमत्कार । पुन. देव । एक भावी बलदेव । बला स्त्री भगवान् अपूर्व घटना । °कर वि विस्मय-जनक, अजितनाथ की शामनदेवी । °सेण पु[°सेन] चमत्कार उपजानेवाला। एक प्रसिद्ध राजा । चौथा कुलकर । एक अच्छोड सक[आ+छोटय्] पटकना । सिंचना । विख्यात जैन मुनि । पु भगवान् मल्लिनाथ अच्छोड पुं [आच्छोट] सिंचन । आस्फालन का प्रथम श्रावक। करना, पटकना। नाह पु [नाथ] नववाँ रुद्र पुरुष । अच्छोडण न [आच्छोटन] सिंचन । आस्फालन, | अजिअ वि [अजीव] जीव-रहित । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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