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________________ २२ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अच्चेअर-अच्छिघरुल्ल अच्चेअर न [आश्चर्यं] आश्चर्य । अध्ययन । देवी । रूपवती स्त्री। अच्छ अक [आस्] बैठना। अच्छरा स्त्री [दे. अप्सरा] चुटकी । चुटकी अच्छ सक [आ + छिद्] काटना । खींचना।। की आवाज ।। अच्छ वि स्वच्छ । पु. स्फटिक रत्न । पु. ब. | अच्छराणिवाय पु [दे] चुटकी। चुटकी आर्य देश-विशेष । बजाने में जितना समय लगता है वह, अत्यल्प अच्छ पु [ऋक्ष] रीछ । समय । अच्छ वि [आच्छ] अच्छे देश में उत्पन्न । अच्छरिअ. अच्छ पु मेरु पर्वत । न. तीन बार औटा हुआ अच्छरिज ) न आश्चर्य] विस्मय, चमत्कार । स्वच्छ पानी। अच्छरीअ अच्छ न [दे] अत्यन्त । शीघ्र । अच्छल न निर्दोषता, अनपराध । 'अच्छ वि [अक्षि] आँख । अच्छवि वि जैन दर्शन में जिसको स्नातक कहते °अच्छ पु[कच्छ] अधिक पानीवाला प्रदेश । हैं वह, जीवनमुक्त योगी। लताओं का समूह । तृण । अच्छविकर पु [अक्षपिकर] एक प्रकार का "अच्छ पु [वृक्ष] वृक्ष । मानसिक विनय । अच्छअ पु [अक्षक] बहेड़ा का वृक्ष । ना अच्छहल्ल पु [ऋक्षभल्ल] रोछ । स्वच्छ जल। अच्छा स्त्री वरुण देश की राजधानी । अच्छअर न [आश्चर्य] विस्मय, चमत्कार । °अच्छा स्त्री [कक्षा] गर्व । अच्छंद वि [अच्छन्द] पराधीन । अच्छाइ वि [आच्छादिन] ढकनेवाला । अच्छक्क देखो अत्थक्क । अच्छायण न [आच्छादन] ढकना । वस्त्र । अच्छण न [आसन] बैठना । पालकी वगैरह । अच्छायंत वि [अच्छातान्त] तीक्ष्ण । सुखासन । °घर न [°गृह] विश्राम-स्थान । अच्छि त्रि [अक्षि] आँख । °चमढण न अच्छण न [दे] सेवा । देखना । अहिंसा, ! [°मलन] आँख का मलना । °णिमीलिय दया। न [ निमोलित ] आँख को मूंदना, अच्छणिउर न [अच्छनिकुर] अच्छनिकुरांग मींचना । आँख मिचने में जो समय लगे वह । को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या °पत्त न [°पत्र] आँख का पक्ष्म । °वेहग पु लब्ध हो वह। [°वेधक एक चतुरिन्द्रिय जन्तु । °रोडय अच्छणिउरंग न [अच्छनिकुराङ्ग] नलिन पु [°रोडक] एक चतुरिन्द्रिय जन्तु । °ल्ल को चौरसी लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध वि [°मत्] आँख वाला प्राणी । चतुरिन्द्रिय हो वह । जन्तु । °मल पु आँख का मैल । अच्छण्ण वि [अच्छन्त] प्रकट । अच्छभल्ल पु [ऋक्षभल्ल] रीछ । अच्छिंद सक[आ + छिद्] थोड़ा छेद करना । अच्छभल्ल पु [दे] यक्ष, देव-विशेष । एक बार छेद करना । बलात्कार से छीन अच्छरआ देखो अच्छरा। लेना । थाड़ा काटना । अच्छरय पु [आस्तरक] शय्या पर बिछाने । अच्छिद पु [अक्षीन्द्र] गोशालक के एक दिकका वस्त्र-विशेष । चर (शिष्य) का नाम । अच्छरसा । स्त्री [अप्सरस्] इन्द्र की पट- अच्छिक्क वि [दे] अस्पृष्ट । अच्छरा रानी। 'ज्ञातरधर्मकथा' का एक | अच्छिघरुल्ल वि [दे] अप्रीतिकर । ' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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