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________________ णिअट्ट-णिआग संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ३८३ होना । सक. अवश्य प्राप्त करना। णिअद्धण न [दे] परिधान, पहनने का वस्त्र । णिअट्ट अक [नि+वृत्] निवृत्त होना, | णिअम सक [नि + यमय] नियन्त्रित करना, पीछे हटना, रुकना। नियम में रखना । रोकना । वचन से कराना । णिअट्ट सक [निर् + वृत्] निर्माण करना। शरीर से कराना। णिअट्ट सक [नि + अर्द] अनुसरण करना। |णिअम पुं [नियम] निश्चय । ली हुई प्रतिज्ञा, णिअट्ट पुं [निवर्त] व्यावर्तन, निवृत्ति । व्रत। प्रायोपवेशन, संकल्प-पूर्वक अनशनणिअट्ट वि [निवृत्त] व्यावृत्त, पीछे हटा | मरण के लिए उद्यम । 'सा अ [°सात्] हुआ। नियम से । सो अ [°शस्] निश्चय से। णिअट्रि स्त्री [निवृत्ति पीछे हटना । अध्यव-णिअय न [दे] मैथुन । शयनीय, शय्या । साय-विशेष । मोह-रहित अवस्था । °बायर | घड़ा । वि. नित्य । न [°बादर] गुण-स्थानक-विशेष । पुं. गुण- | णिअय वि [निजक ] स्वकीय, आत्मीय, स्थान क-विशेष में वर्तमान जीव । अपना। णिअड न [निकट] समीप । वि. पास का। णिअय वि [नियत] नियम-बद्ध, नियमानुणिअडि वि [निकृतिन्] कपटी । सारी । णिअडि स्त्री [निकृति] की हुई ठगाई को | णिअया स्त्री [नियता] जम्बू-वृक्ष-विशेष, छिपाना । माया, कपट । जिससे यह जम्बू-द्वीप कहलाता है । णिअडिअ वि [निगडित] नियन्त्रित, जकड़ा | णिअर पुं [निक र] समूह । हुआ। णिअरण न [द] दण्ड। णिअडिअ वि [निकटिक] समीप-वर्ती।। णिअरिअ वि [दे] राशि रूप से स्थित । णिअडिल्ल वि निकृतिमत्] कपटी, णिअल न [दे] नूपुर, पैजनी । मायावी। णिअल पुं [निगड] बेड़ी । देखो णिगल । णिअड्ढ सक [नि+ कृष्] खींचना । णिअलाइअ । वि [निगडित] सांकल से णिअण वि [नग्न] वस्त्र-रहित । णिअलाविअ नियन्त्रित, जकड़ा हुआ । णिअत्त वि [निकृत्त] काटा हुआ । णिअलिअ । णिअत्त वि [नित्य] शाश्वत । णिअल्ल पुं [दे. नियल्ल] ग्रहाधिष्ठायक देवणिअत्त देखो णिअट्ट = नि + वृत् । विशेष । णिअत्त देखों णिअट्ट- निवृत्त ।। णिअस देखो णिअंस। णिअत्तण न [निवर्त्तन] भूमि की एक नाप । | णिअह देखो णिवह । निवृत्ति, व्यावतन । णिआ स्त्री [निदा] प्राणि-हिंसा । णिअत्तणिय वि [निवर्तनिक] निवर्तन, | णिआ° देखो णिअय = (दे)। 'वाइ वि परिमाणवाला। [°वादिन] पदार्थ को नित्य माननेवाला । णिअत्ति देखो णिअट्टि। णिआइय देखो णिकाइय। णिअत्थ वि [दे] परिहित । वस्त्र आदि | णिआग पुं [नियाग] नियत योग । निश्चित पहनाया गया हो वह । पूजा । मोक्ष । न. आमन्त्रण देकर जो भिक्षा णिअद सक [नि+गद] बोलना । दी जाय वह । णिअद्दिय देखो णिअट्टिय = न्यदित । णिआग देखो णाय = न्याय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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