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________________ ३७६ 'लोअ पुं [°लोक ] मनुष्य लोक | 'वइ पुं | [पति] राजा । ' वर पुं. राजा । उत्तम पुरुष । वरिंद पुं [वरेन्द्र ] भूमि-पति । 'वरीसर पुं ['वरेश्वर ] श्रेष्ठ राजा । 'वसभ, 'वसह पुं [वृषभ ] देखो 'उसभ । नृपति । पुं. हरिवंश का एक राजा । वाल पुं [पाल ] भूपाल | वाहण पुं [वाहन ] एक राजा । वेय पुं [वेद] पुरुष वेद, पुरुष को स्त्री के स्पर्श की अभिलाषा । सिंघ, सिंह, सीह पुं [सिंह ] श्रेष्ठ मनुष्य । अर्धभाग में पुरुष का और अर्धभाग सिंह का आकारवाला, श्रीकृष्ण । सुंदर [सुन्दर ] एक राजा विपुं [प] नरेश | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष इंदय पुं [नरकेन्द्रक] नरक-स्थान- विशेष । परकंठ पुं [ नरकण्ठ] रत्न की एक जाति णरग णरय } पुं [ नरक] नारक जीवों का स्थान । 'वाल, वालय पुं [पाल, क] परमाधार्मिक देव जो नरक के जीवों को यातना (पीड़ा) देते हैं । रसिंह पुं [ नरसिंह] बलदेव । एक राजकुमार । णराच पुंन [ नाराच] लोहमय बाण ! णराअ संहनन - विशेष, शरीर की रचना का एक प्रकार । छन्द - विशेष । रायण पुं [ नारायण ] विष्णु । रिंद पुं [नरेन्द्र] राजा । गारुड़िक [कान्त ] देव-विमान- विशेष | [पथ ] राज मार्ग । 'वसह पुं श्रेष्ठ राजा । । Jain Education International कंत न [वृषभ ] रीस पुं [ नरेश ] राजा । परीसर पुं [ नरेश्वर ] राजा । रुत्तम पुं [ नरोत्तम] श्रीकृष्ण । उत्तम पुरुष । नरेंद देखो रिंद | णरेसर देखो णरीसर | लन [न] भीतर से पोला शराकार तृण । ल न [ नल] ऊपर देखो । पुं. राजा रामचन्द्र का एक सुभट | वैश्रमण का एक पुत्र । "कुब्बर, कूवर पुं [कूबर] दुर्लधपुर का एक राजा । वैश्रमण का एक पुत्र । गिरि पं. चण्डप्रद्योत राजा का एक हाथी । णलय न [दे] उशीर, खस का तृण । लाड देखो णडाल । णलाडंतव वि [ ललाटन्तप] ललाट को तपाने वाला । गलिअ न [ दे] मकान । इंदय - णव लिण न [ नलिन] लगातार तेईस दिन का उपवास । पुंन. एक देव - विमान । रक्त कमल । महाविदेह वर्ष का एक प्रदेश - विशेष । 'नलिनांग' को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह । देव-विमान- विशेष । रुचक पर्वत का एक शिखर [° कूट ] वक्षस्कार- पर्वत- विशेष [गुल्म] देव-विमान- विशेष । नृप - विशेष | अध्ययन - विशेष । राजा श्रेणिक का एक पुत्र । वई स्त्री [ती] विदेह वर्ष का एक प्रदेश- विशेष | | कूड पुं । 'गुम्म न पह पुंलिणी लिणंग न [ नलिनाङ्ग] संख्या- विशेष, पद्म को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह । णलिणि } स्त्री [ नलिनी] कमलिनी । गुम्म देखो णलिण-गुम्म । 'वण न [ वन] उद्यान - विशेष । लोग पुं [ नलिनोदक ] समुद्र - विशेष | रित्तरवडग न [ नरेन्द्रोत्तरावतंसक ] णल्लय न [ दे] बाड़ का छिद्र । प्रयोजन | देव-विमान- विशेष | निमित्त | वि. कोचवाला । व देखो णम | व वि [नव ] नूतन । वहुया, 'वहू स्त्री [व] नवोढ़ा णव त्रि. व. [नवन्] संख्या - विशेष, नव । इ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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