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________________ णपहत्त-णर संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ३७५ निन्दा। पत्नी । णपहुत्त वि [अप्रभूत] अपर्याप्त, यथेष्टरहित । | णय देखो णद = नद् । णपहुप्पंत वि [अप्रभवत् अपर्याप्त होता। णय पुं [नग] पर्वत । वृक्ष । देखो णग। णपुंस पुंन [नपुंसक क्लोब । 'वेय पुंणय अ [नच] नहीं। णपंसग [°वेद] कर्म-विशेष, जिसके उदय | णय [नत] झुका हुआ, नम्र । जिसको नमस्कार णपुंसय ) से स्त्री और पुरुष दोनों के स्पर्श किया गया हो वह । न. देवविमान-विशेष । की वाञ्छा होती है। सच्च पुं[सत्य] श्रीकृष्ण । णप्प सक [ज्ञा] जानना । णय पुं [नय] न्याय, नीति । युक्ति । प्रकार, णभ देखो णह = नभस् । रीति । वस्तु के अनेक धर्मों में किसी एक को णभसूरय पुं [नभःशूरक] कृष्ण पुद्गल-विशेष, मुख्य रूप से स्वीकार कर अन्य धर्मों की उपेक्षा करनेवाला मत, एकांश-ग्राहक बोध । विधि। णम सक [नम्] प्रणाम करना । 'चंद पुं [°चन्द्र] एक जैन ग्रन्थकार । णमंस सक [नमस्य] नमन करना । °त्थि वि [°ार्थिन्] न्याय चाहनेवाला । °व, °वत वि [°वत्] नीतिवाला । °विजय पुं. णमंसणया । स्त्री [नमस्यना] नमस्कार । एक जैन मुनि जो सुप्रसिद्ध विद्वान् श्री णमंसणा । यशोविजयजी के गुरु थे। णमंसिय वि [नमस्यित] जिसको नमन किया णयचक्क न [नयचक्र] जैन प्रमाण-ग्रन्थ । गया हो वह । णमक्कार देखो णमोक्कार । णयण न [नयन] ले जाना। जानना, ज्ञान । णमसिअ न [दे] उपयाचितक, मनौती। निश्चय। वि. ले जानेवाला । पुन. आँख । णमि पुं [नमि] इक्कीस जिन-देव । राजर्षि । जल न. आँस् । भगवान् ऋषभदेव का एक पौत्र । णयय पुं [दे. नवत] ऊन का बना हुआ णमिअ वि [नमित] नमाया हुआ। आस्तरण-विशेष । णमिआ स्त्री [नमिता] एक स्त्री। 'ज्ञाता- णयर देखो णगर। धर्मकथासूत्र' का एक अध्ययन । णयरंगणा स्त्री [नगराङ्गना] गणिका । णमिर वि [नम्र] नमन करनेवाला। णयरी स्त्री [नगरी] शहर । णमुइ पुं [नमुचि] एक मन्त्री । णर पुं [नर] मनुष्य, पुरुष । अर्जुन । °उसभ णमुदय पुं नमुदय] आजीविक मत का एक | पुं[वृषभ] श्रेष्ठ मनुष्य, अंगीकृत कार्य का उपासक । निर्वाहक पुरुष । °कंतप्पवाय पुं [°कान्तणमेरु पुं नमेरु] वृक्ष-विशेष । प्रपात] हृद-विशेष । °कंता स्त्री [°कान्ता] णमो अ[नमस्] नमस्कार । नदी-विशेष । °कंताकूड न [°कान्ताकूट] णमोक्कार पुं नमस्कार] प्रणाम । जैन-शास्त्र रुक्मि पर्वत का एक शिखर । °दत्ता स्त्री. में प्रसिद्ध मन्त्र-विशेष । °सहिय न | मुनि-सुव्रत भगवान् की शासनदेवी । विद्या[°सहित] प्रत्याख्यान-विशेष, व्रत-विशेष । । देवी-विशेष । °देव पुं. चक्रवर्ती राजा। णमोयार देखो णमोक्कार। नायग पुं [°नायक] राजा । 'नाह पुं णम्म पुन [नर्मन] उपहास । क्रीड़ा । [°नाथ] राजा । °पहु पुं[प्रभु] राजा । णम्मया स्त्री [नर्मदा] एक नदी । एक राज- | °पौरुसि पुं [°पौरुषिन्] राज-विशेष । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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