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________________ ३५८ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष जोअ-जोग जोअ सक [योजय] समाप्त करना । करना। जोइणी स्त्री [योगिनी] संन्यासिनी । एक जोड़ना, युक्त करना। प्रकार की देवी, ये चौंसठ हैं । जोअ पु [दे] चन्द्रमा । युग्भ । जोइर वि [दे] स्खलित। जोअ देखो जोग । वडय न [°वटक] पाचक | जोइस न [दे] नक्षत्र । चूर्ण । जोइस देखो जोइ = ज्योतिस् । प्राय पु जोअंगण [दे] देखो जोइंगण। [राज] सूर्य । चन्द्र । °ालय पुं. सूर्य आदि जोअग वि [द्योतक] प्रकाशनेवाला । न. देव । व्याकरण-प्रसिद्ध निपात वगैरह पद । जोइस [ ज्यौतिष ] देवों की एक जाति, जोअड पु [दे] जुगनू । सूर्य, चन्द्र आदि ग्रह । न. सूर्य, आदि का जोअण न [दे] आँख । विमान । ज्योतिष शास्त्र । सूर्य आदि का चक्र । सूर्य आदि का मार्ग, आकाश । जोअण न [योजन] परिमाण-विशेष, चार जोइस पुं [ज्यौतिष] सूर्य, चन्द्र आदि देवों की कोश । संयोग, जोड़ना। एक जाति । वि. ज्योतिष शास्त्र का जानजोअण न [यौवन] युवावस्था । कार। जोआ स्त्री [द्यो] स्वर्ग । आकाश । जोइसिअ वि [ज्योतिषिक] दैवज्ञ, ज्योतिषी । जोआवइत्तु वि [योजयितु] जोड़नेवाला ।। सूर्य, चन्द्र आदि ज्योतिष्क देव । °राय पुं जोइ वि [योगिन्] युक्त, संयोगवाला । चित्त- [ राज] सूर्य । चन्द्रमा । निरोध करनेवाला। पु. मुनि, साधु । जोइसिंद पु [ज्योतिरिन्द्र] रवि। रामचन्द्र का एक सुभट। जोइसिण पुं [ज्योत्स्न] शुक्ल पक्ष । जोइ पं[ ज्योतिस् ] प्रकाश । अग्नि । प्रदीप | जोइसिणा स्त्री [ज्योत्स्ना] चाँदनी । पक्ख आदि प्रकाशक वस्तु । अग्नि का काम करने- [पक्ष] शुक्ल पक्ष । भा स्त्री. चन्द्र की एक वाला कल्पवृक्ष । ग्रह, नक्षत्र आदि प्रकाशक | अग्र-महिषी । पदार्थ । ज्ञान । ज्ञानयुक्त । प्रसिद्धि-युक्त । | जोइसिणी स्त्री [ज्यौतिषी] देवी-विशेष । सत्कर्म-कारक । स्वर्ग। ग्रह वगैरह का | जोई स्त्री [दे] बिजली । विमान । ज्योतिष शास्त्र । अंग पुं[अङ्ग] जोईरस देखो जोइ-रस । अग्नि का काम करनेवाला कल्पवृक्ष-विशेष । | जोईस पुं [योगीश] योगिराज । °रस न.रत्न की एक जाति । देखो जोइस = जोईसर पुं [योगीश्वर] ऊपर देखो। ज्योतिस् । जोउकण्ण न [योगकणं] गोत्र-विशेष । जोइअ पुं [दे] खद्योत, पटबीजना । जोउकण्णिय न [योगकर्णिक] गोत्र-विशेष । जोइअ वि [दृष्ट] विलोकित । जोक्कार देखो जेक्कार। जोइअ वि [योजित] जोड़ा हुआ। जोक्ख वि [दे] अपवित्र । जोइअ देखो जोगिय । जोग देखो जुग्ग = युग्म । जोइंगण पुं [दे] कीट-विशेष, इन्द्र-गोप। जोग पु [योग] नक्षत्र-समूह का क्रम से चन्द्र जोइक्क पुन [ज्योतिष्क] प्रदीप आदि प्रकाशक | और सूर्य के साथ सम्बन्ध । मन, वचन और पदार्थ। शरीर की चेष्टा । चित्तनिरोध, समाधि । वश जोइक्ख पुं [दे. ज्योतिष्क] प्रदीप। प्रदीप करने के लिए या पागल आदि बनाने के लिए आदि का प्रकाश। फेंका जाता चूर्ण-विशेष । सम्बन्ध, संयोग । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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