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________________ जोग - जोहा संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष ईप्सित वस्तु का लाभ | शब्द का अवयवार्थ- | जोड (अप) स्त्री [ दे] युगल । सम्बन्ध । बल, पराक्रम । 'क्खेम न [ क्षेम ] जोडिअ पुं [दे] व्याध, चिड़ीमार | ईप्सित वस्तु का लाभ और उसका संरक्षण । [न, वन] म्लेच्छ देश । "त्थ वि [स्थ] योग-निष्ठ, ध्यान-लीन । त्थ जोणि स्त्री. [योनि] उत्पत्ति-स्थान । कारण, उपाय | जीव का उत्पत्ति-स्थान | स्त्रीचिह्न, भग । विहाण न [°विधान ] उत्पत्तिशास्त्र । °सूल न[°शूल] योनि का एक रोग । जोणिय वि [योनिक, यवनिक] अनायें देशविशेष से उत्पन्न ৷ [T] व्युत्पत्ति के अनुसार शब्द का अर्थ | 'दिट्ठि स्त्री [' दृष्टि ] चित्तनिरोध से उत्पन्न होनेवाला ज्ञान-विशेष । 'धर वि. समाधि में कुशल, योगी । ' परिव्वाइया स्त्री [परि व्राजिका ] समाधिप्रधान व्रतिनी विशेष । ● पंड पुं [° पिण्ड ] वशीकरण आदि के प्रयोग से प्राप्त की हुई भिक्षा | मुद्दा स्त्री [मुद्रा ] हाथ का विन्यास - विशेष | 'व वि [°वत् ] शुभ प्रवृत्तिवाला । योगी । वाहि वि [वाहिन्] शास्त्र - ज्ञान की आराधना के लिए शास्त्रोक्त तपश्चर्या को करनेवाला । समाधि में रहनेवाला । विहि पुंस्त्री [विधि ] शास्त्रों की आराधना के लिए शास्त्र निर्दिष्ट अनुष्ठान, तपश्चर्या - विशेष | सत्थ न [ शास्त्र ] चित्तनिरोध का प्रतिपादक शास्त्र । जोग देखो जोग्ग जोगि देखो जोइ = योगिन् । जोगिंद पु [ योगीन्द्र ] महान् योगी । जोगिणी देखो जोइणी । गर्भ धारण में समर्थ योनि । जोज देखो जोअ = योजय् । जोड स [ योजय् ] जोड़ना । जोड न [] नक्षत्र । रोग विशेष । Jain Education International जोण्णलिआ स्त्री [दे] अन्न विशेष, जुआरि । जोण्ह वि [ ज्योत्स्न] श्वेत । पुं. शुक्ल पक्ष । जोण्हा स्त्री [ ज्योत्ना ] चन्द्र- प्रकाश | जोण्हाल वि [ ज्योत्स्नावत् ] चन्द्रिकायुक्त | जोत्त देखो जुत्त = युक्त | जोत्त न [ योक्त्र] जोत, रस्सी या चमड़े का ३५९ तस्मा । जोव देखो जोअ = दृश् । जोव पुं [दे] बिन्दु | वि. थोड़ा । जोवण न [ दे] यन्त्र, कल । धान्य का मर्दन । जोवारि स्त्री [] अन्न- विशेष, जुआरि । जोव्वण न [ यौवन ] जवानी । मध्य भाग | जोव्वणणीर जौव्वणवेअ वयः - परिणाम, न [दे] बुढ़ापा । जोव्वणिया स्त्री [ यौवनिका ] जवानी | जोव्वणोवय न [ दे] वृद्धत्व | जोस देखो जुस == जुष् । जोस पुं [झोष ] अन्त । सिवि [जुष्ट] सेवित । जोसिआ स्त्री [ योषित् ] नारी । जोसिणी देखो जोण्हा । जो अ [ युध् ] लड़ना । } जोगिय वि [ यौगिक ] दो पदों के सम्बन्ध से बना हुआ शब्द, जैसे - उप-करोति, अभि षेणयति । यन्त्र- प्रयोग से बना हुआ । जोगीसर देखो जोईसर । जोगेसरी स्त्री [ योगेश्वरी] देव - विशेष । जोगेसी स्त्री [योगेशी] विद्या-विशेष | जोग्ग वि [ योग्य ] योग्य । समर्थ । जग्गा स्त्री [] खुशामद | जग्गा स्त्री [ योग्या ] शास्त्र का अभ्यास । जोह पुं [ योध ] योद्धा । 'ट्ठाण न [ स्थान ] सुभटों का युद्ध कालीन शरीर - विन्यास, अंगरचना - विशेष | जोहा देखो जोहा | हा स्त्री [ योधा | भुज- परिसर्प की एक जाति । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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