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________________ २७० खलिया स्त्री [ खलिका ] तिल वगैरह का तैलरहित चूर्ण, खली । खलियार सक [खली + कृ] तिरस्कार करना । धूत्कारना । ठगना । उपद्रव करना । खली स्त्री [दे. खली ] तिल- पिण्डिका, तिल वगैरह का स्नेहरहित चूर्ण | खलीण न [ खलीन] देखो खलिण । नदी का किनारा | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कौष खलु अ [खलु] इन अर्थों का सूचक अव्यय -- अवधारण, निश्चय । पुनः । विशेष पादपूर्ति और वाक्य की शोभा के लिए भी इसका प्रयोग होता है । खित्त न [° क्षेत्र ] जहाँ पर जरूरी चीज मिले वह क्षेत्र । खलुंक [दे] गली बैल, अविनीत बैल, कुशिष्य । खलुंकिज्ज पुं [ दे] गली बैल सम्बन्धी । न. उत्तराध्ययन सूत्र का इस नाम का एक अध्ययन | खलुग न [ खलुक ] गुल्फ, पाँव का मणि बन्ध | खलुय खल्ल न [दे] बाड़ का छिद्र । विलास । वि. रिक्त । खल्ल वि[ ] जिसका मध्य भाग नीचा हो वह | खल्लइअ वि [दे] संकुचित, संकोच-युक्त | हर्षयुक्त खल्लग पुंन [ दे] पत्ता | पत्र-पुट | खल्लय खल्लग न [दे] पाँव का रक्षण करनेखल्लय वाला चमड़ा, एक प्रकार का जूता । थैला । खल्ला स्त्री [दे] चर्म । खाल | खल्लाड देखो खल्लीड । खलिया - खेह खल्लीड पुं [ खल्वाट] गंजा, चंदला । खल्लूड पुं' [खल्लूट] कन्द-विशेष | खव सक [ क्षपय् ] नाश करना। डालना, प्रक्षेप करना । उल्लंघन करना । खव पुं [दे] बायाँ हाथ । गर्दभ । खवग वि [क्षपक] नाश करनेवाला । पुं. तपस्वी - वि. क्षण में आरूढ़ । °से स्त्री [श्रेणि] क्षपण कर्मों के नाश की परिपाटी । खवण खवणय खवडिअ वि [दे] स्खलित, स्खलन प्राप्त । न [ क्षपण ] क्षय । डालना, प्रक्षेप । पुं. जैन मुनि । खवण देखो खमण । खवणा स्त्री [ क्षपणा ] अध्ययन, शास्त्र प्रकरण । खवय [दे] कन्धा । खवय देखो खवग | खवलिअ वि [दे] कुपित | खवल्ल पुं. मत्स्य - विशेष | खवा स्त्री [क्षपा] रात्रि । जल न. आवश्याय, हिम | Jain Education International खवि वि [क्षपित] विनाशित । उद्वेजित । खव्व [दे] वायाँ हाथ । रासभ । खव्व वि [खर्व] वामन । लघु, थोड़ा । खव्वुर देखो कब्बुर । खव्वुलन [दें] मुख । खस अक [दे] खिसकना, गिर पड़ना । खस पु. ब. अनार्य देश - विशेष । पुंस्त्री. खस देश में रहनेवाला मनुष्य । खसखस पुं. पोस्ता का दाना, उशीर, खस । खसफस अक [दे] खिसकना, गिर पड़ना । खसफसि वि [] अधीर । खल्लिरा स्त्री [दे] संकेत । खल्लिहड (अप) देखो खल्लीड | खल्ली स्त्री [दे] सिर का वह चमड़ा, जिसमें खसु पुं [दे] रोग-विशेष, पामा । खसर देखो कसर = दे कसर । खसिअ देखो खइअ = खचित । केश पैदा न होता हो । खह पुन [ख] आकाश । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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