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________________ खह-खारायण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष २७१ खह देखो ख। | खाण न [ख्यान] कथन । खहयर देखो खयर। खाणि स्त्री [खानि खान । खहयरी स्त्री[खचरो]मादा पक्षी । विद्याधरी। खाणिअ वि [खानित] खुदवाया हुआ । खा । सक [ खाद् ] भोजन करना, भक्षण | खाणी देखो खाणि । खाअ ) करना। खाणु ) पुं [स्थाणु] टूठा वक्ष, अचल । खाअ वि [ख्यात] प्रसिद्ध, विश्रुत । कित्तीय | खाणुय । वि [°कीतिक] यशस्वी। °जस वि | खादि देखो खाइ = ख्याति । [ यशस् ] वही अर्थ । खाम सक [क्षमय् ] माफी मांगना । खाअ वि [खादित] भुक्त, भक्षित । खाम वि [क्षाम] दुर्बल । क्षीण, अशक्त । खाअ वि [खात खुदा हआ। न. खुदा हआ | खामण न [क्षमण] खमाना । जलाशय । ऊपर में विस्तारवाली और नीचे | खामिय वि [क्षमित] खमाया हआ। सहन में संकुचित ऐसी परिखा। ऊपर और नीचे | किया हुआ । विलम्बित । समान रूप से खुदी हई परिखा । खाई। खाय पु [खाद] पाँचवी नरक-भूमि का एक खाइ स्त्री [खाति] परिखा। नरक-स्थान । खाइ स्त्री [ख्याति] प्रसिद्ध । खायर देखो खाइर। खाइ [दे] देखो खाई। खार पु [क्षार] एक नरक-स्थान । भुजपरिखाइअ देखो खइअ = क्षायिक । सर्प की एक जाति । दुश्मनी । °डाह पुन खाइआ स्त्री [दे. खातिका] खाई । [°दाह] क्षार पकाने की भट्टी। 'तंत पुन खाई अ [दे] वाक्य की शोभा और पुनः शब्द [तन्त्र] आयुर्वेद का एक भेद, वाजीकरण । के अर्थ का सूचक अव्यय । खार पु [क्षार] क्षरण, झरना, संचलन । खाइग देखो खाइअ = क्षायिक । भस्म । खार । लवण-विशेष । लवण । जानखाइम न [खादिम] अन्न-वजित फल, औषध वर-विशेष । सज्जी। वि. कटु या चरपरा वगैरह खाद्य चीज। स्वादवाला, कटु चीज । खारी चीज, नमकीन खाइर वि [खादिर] खदिर-वृक्ष-सम्बन्धी, खैर स्वादवाली वस्तु । 'तउसी [त्रपुषी] कटु का, कत्थई । त्रपुषी, वनस्पति विशेष । तिल्ल न ["तैल] खाउय न [खाद्यक खाद्यपदार्थ । खारे से संस्कृत तैल । °मेह पुं [मेघ] क्षार रसवाले पानी को वर्षा । °वत्तिय वि खाओवसमिअ ( देखो खओवसमिय । [°पात्रिक] क्षार-पात्र में जिमाया हुआ । खाओवसमिग) क्षार-पात्र का आधार-भूत । वित्तिय वि खाडइअ वि [दे] प्रतिफलित, प्रतिबिम्बित । [°वृत्तिक] खार में फेंका हुआ, खार से खाडखड पुं चौथी नरक-पृथिवी का एक | सींचा हुआ । °वावी स्त्री [°वापी] क्षार से नरकावास। भरी हुई वापी, कुंआ। खाडहिला स्त्री [दे] एक प्रकार का जानवर, | खारंफिडी स्त्री [दे] गोधा, गोह । गिलहरी । खारदूसण वि. खरदूषण का। खाण पु[दे] एक म्लेच्छजाति । खारय न [दे] कली। खाण न [खादन] भोजन । । खारायण पुं [क्षारायण] ऋषि-विशेष । खाओवसम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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