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________________ कूर-केऊर संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष २५५ कूर वि [क्रूर] निर्दय, हिंसक । भयंकर । पुं. कूहंड पुं [कूष्माण्ड] व्यन्तर देवों की एक रावण का इस नाम का एक सुभट । जाति । कूर पुंन. वनस्पति-विशेष । न.ओदन । 'गडुअ, | के सक [क्री] खरीदना । गड्डुअ पुं [गडुक] एक जैन महर्षि । के वि [कियत्] कितना ? °चिरेण अ. कितने कर अ [ईषत्] अल्प । समय में ? °चिरं अ. कितने समय तक । करपिउड न [दे] खाद्य-विशेष । °चिरेण देखो चिरेण । "दूर न. कितना कूरि वि [रिन्] निर्दयो। निर्दय परिवार- दूर ? °महालय वि. कितना बड़ा ? °महा लिय वि [°महत्] कितना बड़ा ? °महिवाला। कूल न [दे] सैन्य का पिछला भाग । ड्ढिय वि [महद्धिक] कितनी बड़ी ऋद्धिकूल न तट । धमग पुं [ मायक] एक प्रकार | वाला। का वानप्रस्थ जो किनारे पर खड़ा हो आवाज केअइ पुं [केकय) देश-विशेष । कर भोजन करता है। वालग, वालय पुं केअई स्त्री [केतकी] केवड़ा का वृक्ष । [बालक] एक जैन मुनि ।। केअग) केतक] केवड़ा का गाछ । न. कूलकंसा स्त्री [कूलङ्कषा] तीर को तोड़ने केअय | केतकी पुष्प । चिह्न । वाली नदी। केअगी स्त्री [केतकी] केवड़ा का गाछ या कूव पुंन [दे] चुराई चीज की खोज में जाना ।। चुराई चीज को छुड़ानेवाला। केअल देखो केवल। कूव [कूप,°क] कुंआ, गर्त । स्नेह पात्र ।। | केअव देखो कइअव = कैतव । कूवग जहाज का मध्य स्तम्भ । तुला स्त्री. | केआ स्त्री [दे] रज्जु । कूवय ढेकुवा । मंडुक्क पुं [°मण्डूक] कूप केआर पुं [केदार] खेत । क्यारी । का मेढक । अल्पज्ञ मनुष्य, जो अपना घर केआरवाण पुं [दे] पलाश का पेड़ । छोड़ बाहर न जाता हो। केआरिआ स्त्री केदारिका]पासवाली जमीन, कूवय पुं [कूपक] देखो कूव = कूप । स्वनाम- गोचर भूमि । प्रसिद्ध एक जैन मुनि । केउ पुं [केतु] पताका । ग्रह-विशेष । निशान । कूवर पुन.जहाज का मुख-भाग । रथ या गाड़ी रूई का सूता । °खेत्त न [°क्षेत्र] मेघ-वृष्टि वगैरह का एक अवयव, युगन्धर । से ही जिसमें अन्न पैदा हो सकता हो ऐसा कूवल न [दे] जवन-वस्त्र। क्षेत्र-विशेष । °मई स्त्री [°मती] किन्नरेन्द्र कविय न [कूजित] अव्यक्त शब्द । और किंपुरुषेन्द्र को अग्र-महिषी का नाम । कविय पुंकूपिक] इस नाम का एक सन्निवेश °माल न. वैताट्य पर्वत पर स्थित इस नाम -गाँव । का एक विद्याधर-नगर । कृविय वि [दे] चुराई हुई चीज की खोज कर केउ पुं [दे] काँदा । उसे लानेवाला । चोर की खोज करनेवाला । केउ पुंन [केतु] एक देवविमान । कूविया स्त्री [कूपिका] छोटा कूप । छोटा केउग } [केतुक] पाताल-कलश विशेष । स्नेह-पात्र । केउय । कूवी स्त्री [कूपी] ऊपर देखो । केऊर पुन [केयूर] अङ्गद, बाजूबन्द । दक्षिण कुसार पुं दे] गतं जैसा स्थान, खड्डा । । समुद्र का पाताल-कलश। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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